पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५५५

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पहला मराठा युध्द

पहला मराठा युद्ध २७ भेजा। इस समय तक फड़के की विजयी सेना पूना वापस पहुँच चुकी थी 1 मॉस्टिन व पूना से गुजरात चला आया और वहाँ पर उसने अपनी बालों का जाल बिछाना शुरू किया। अन्त में अंगरेजों और फतहसिंह गायकवाड़ के बीच सन्धि हो गई। ___ इस सन्धि के अनुसार भडोच, चिखली, वडियाव और कोग्ल के तीनों परगने, जिनको आमदनी कई लाख रुपए सालाना थो, बिना किसी तरह की लड़ाई के कम्पनी को मिल गए और सयाजी राव गायकवाड़ अंगरेजी की मदद से बड़ोदा की गद्दी पर बैठ गया ! गायकवाड़ का राज कुल अभी तक पेशवा को अपना अधिराज मानता था, किन्तु अब से वह सदा के लिए मराठा मण्डल से फूट कर अलग हो गया और गुजरात में अंगरेज़ों के पैर जम गए। सूरत की सन्धि के अनुसार अंगरेजों ने साष्टी और बसई दोनों पर कब्जा कर लिया। किन्तु सूरत की सन्धि कड़े पेशवा सरकार ने स्वीकार न किया था और बागी राघोबा को पेशवा की मसनद पर बैठाने का निष्फल प्रयत्ल कर अंगरेज पूना सरकार को अपना दुशमन बना चुके थे। अंगरेजों के सामने उस समय वास्तव में एक कठिन समस्या थी। राघोबा के पेशवा बन सकने की सम्भावना बहुत ही कम थी और बागी राघोबा को मदद देने के बाद पूना सरकार से बातचीत करने का उन्हें अब कोई मुंह न था। उनके गुप्तचर मॉस्टिन का अब फिर पूना में घुस सकना नक नामुमकिन मालूम होता था।