पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५७३

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पहला मराठा युध्द

पहला मराठा युद्ध २६७ चढ़ाई करने की ज़ोरदार तैयारी कर रहा था। नाना फडनवीस ने गॉडर्ड के पत्रों के उत्तर में स्पष्ट लिख भेजा कि अंगरेजों का . सुलह की बातचीत के लिए सबसे पहली शर्त सौंधिया के साथ विश्वासघात __ यह है कि पिछलो सन्धि के अनुसार साष्टी का टापू और विद्रोही राघोबा दोनों पेशवा दरबार के हवाले कर दिए जावें । किन्तु साष्टी पर अंगरेजों के शुरू से दाँत थे और राघोबा इस तमाम खेल में उनके हाथ का तुरुप था। ___ इस दरमियान गॉडर्ड ने गुजरात में पेशवा के इलाकों पर धावे मारने शुरू किए और वहाँ की प्रजा को खूब लूटा और तबाह किया : मायोजो मींधिया नाना को दिखाने के लिए सेना लेकर गुजरात पहुँच गया था और इस समय गुजरात में मौजूद था। किन्तु अंगरेजों ने बड़ी सफलता के साथ उसे झूठो आशाओं के नशे में सुला रक्खा था। नाना फड़नवीस ने प्रज्ञा की बरबादी और माधोजी की नाफरमानो का हाल सुनकर अव होलकर को सेना सहित गुजरात भेजा। किन्तु गायकवाड़ इस समय तक मराठा मण्डल से पृथक हो चुका था। माधोजी सोंधिया विदेशियों के हाथों में खेल रहा था। सूदाजी भोसले वारन हेस्टिंग्स की चालों में आकर पेशवा के साथ विश्वासघात कर चुका था। इन हालतों में अकेला होलकर गॉडर्ड की सेना के हाथों गुजरात की प्रजा को बरवादी को न रोक सका। १६ मार्च सन् १७८० को माधोजी सींधिया ने अपना एक वकील गॉडर्ड के पास भेजा और प्रार्थना की कि तालेगाँव को गुप्त