पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५७५

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पहला मराठा युध्द

पहला मराठा युद्ध २६४ छोटे छोटे हिन्दू और मुसलमान नरेशों को उसने इस विषय के पत्र लिखे । नाना, निज़ाम और हैदरअली में तय हो गया कि तीनों एक साथ अपने अपने पास के अंगरेज़ी इलाकों पर हमला करके अंगरेजों को हिन्दोस्तान से बाहर निकाल दें। नाना की ओर से मूदाजी भोसले तीस हज़ार सेना सहित अंगरेज़ों को बंगाल से निकालने के लिए भेजा जा चुका था। निजाम और हैदरअली की कोशिशों का ज़िक्र और आगे चल कर किया जावेगा । इसके अलावा जैसा ऊपर लिखा जा चुका है, कम से कम उपचार के लिए पूना के पेशवा दिल्ली के सम्राट को सारे भारत का अधिराज स्वीकार करते थे और पेशवा का एक वकील सम्राट के दरबार में रहा करता था। नाना को मालूम हुआ कि वारन हेस्टिंग्स दिल्ली सम्राट को अपनी श्रोर करने की कोशिशों में लगा हुआ है। नाना ने ६ मई सन् १७६० को अपने दिल्ली के वकील पुरुषोत्तम महादेव हिङ्गने के नाम इस मजमून का एक पत्र दिल्ली सम्राट के नाम लिखा :- नाना का पत्र “यहाँ पर समाचार मिला है कि कलकत्ते के अंगरेज दिल्ली के सम्राट के साथ पत्र व्यवहार करके सम्राट को अपनी ओर करने वाले हैं। इसलिए आप सन्नाट और नजफ़ खाँ दानों को इस तरह साफ़ साल समझा दीजिये। "इन टोपी वालों ( यूरोप निवासियों) के तरीके बेईमानी और चाल बाज़ी के हैं। इनकी आदत यह है कि पहले तो किसी हिन्दोस्तानी नरेश को खुश करते हैं, उसे अपने साथ सन्धि करने के फायदे दिखलाते हैं