पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५७६

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भारत में अंगरेज़ी राज

३०० भारत में अंगरेजी राज और फिर उसे कैद करके स्वयम् उसके राज पर कब्जा कर लेने हैं। मिसाल के तौर पर शुजाउद्दौला, मोहम्मदअली खाँ, अरकाट के सूबे और तोर के नरेश इत्यादि की हालत देख लीजिये । इसलिए आपका इन टोपी वालों को दमन करना लाज़मी है, कंवन्द इस उपाय से ही देशके नरेशों की इज्जत बच सकती है, नहीं तो विदेशी टोपीवाले इस भूमि की तमाम रियासनों को छीन खेंगे, और मारे देश पर कब्ज़ा कर लेंगे। ऐसा होना अच्छा नहीं है और भविष्य में सब नरेशों के लिए अत्यन्त हानिकर साबित होगा। सम्राट समस्त पृथ्वी का स्वामी है, इसलिए हर तरह मुनासिब है कि सम्राट इस मामले की ओर ध्यान देना अपना पवित्र कर्त्तव्य समझे । दक्खिन के सब नरेश मिल गए हैं। नवाब, निजामश्रली खाँ, हैदर नायक और पेशवा, इन चारों में सन्धि हो गई है। इन्होने चारों ओर से अंगरेज़ों को दमन करने का निश्चय कर लिया है और अपने अपने इलाकों में अंगरेजों से युद्ध करने के लिए लौज, तोपनाने और अस्त्र शस्त्र की तैयारी कर ली है। "उत्तरीय भारत में सम्राट और नजफ़ लॉ को चाहिए कि सक्ष नरेशों को मिलाकर अंगरेजों को दमन करे । इससे साम्राज्य की कीर्ति और मान दोनों बदेंगे।" ___ वारन हेस्टिंग्स और नाना फड़नवीस के बीच मुकाबला जवर- दस्त था । नाना की दूरदर्शिता और देशभक्ति दोनों अपूर्व थीं। इस पत्र को पढ़कर ऐसा मालूम होने लगता है मानो वह सन् १८५७ के प्रसिद्ध जाना धोण्डुपन्त के हाथ का लिखा हुआ हो । नाना फड़नवीस जो बात चाहता था वह न हो सकी। किन्तु उसके प्रयत्न बिल्कुल निष्फल नहीं गए।