३०२ भारत में अंगरेजी राज को ग्वालियर का लालच देकर मींधिया के खिलाफ अपनी ओर फोड़ लिया । महान पोफम के अधीन कम्पनी की एक सेना ग्वालियर भेजी गई और गोहद के राना की सहायता से ४ अगस्त सन् १७० को ग्वालियर का किला माधोजी मीबिया से जीत कर गोहद के राना को दे दिया गया। आज कल के धौलपुर के जाट राना उसी गोहद के राना की औलाद हैं। इसके बाद करनल कारनक ने वारन हेस्टिंग्स की आज्ञा से फ़रवरी और मार्च सन् १७८१ में सींधिया के अनेक स्थानों को रौंदा, उन्हें लूटा और तबाह किया। __ माधोजी को अपने विश्वासघात की काफी सजा मिल चुकी थी। वारन हेस्टिंग्स ने इसके बाद माधोजी का सर्वनाश करने के लिए राजपूताने के नरेशों को उसके विरुद्ध भड़काना चाहा, किन्तु माधोजी के सौभाग्य से इसमें हेस्टिंग्स को सफलता न हो सकी। इतने में हेस्टिंग्स को मालूम हुआ कि अंगरेजों के विरुद्ध नाना फड़नवीस, निजाम और हैदरअलो में सलाह होगई है। मूदाजी भोसले का बंगाल पर हमला हेस्टिंग्स की चालो और मूदाजी के विश्वासघात द्वारा विफल हो हो चुका था। केवल दो प्रबल शक्तियाँ मैदान में बाकी थीं, निजाम और हैदरअली! हेस्टिग्स ने इन दोनों को अपनी ओर फोड़ने के भरसक यत्न किए। निजाम के साथ उसे पूरी सफलता हुई, किन्तु हैदरअलो को वह अपनी ओर न फोड़ सका । वास्तव में हैदरअल्लो और निज़ाम के चरित्र में बहुत बड़ा अन्तर था।
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