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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५७९

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३०३
पहला मराठा युध्द

पहला मराठा युद्ध ३०३ हैदरअली एक निर्धन घराने में पैदा हुआ था। केवल अपनी वीरता और योग्यता के बल बह एक मामूली हैदरअली और सिपाही से बढ़ते बढ़ते एक विशाल राज का निजाम में तुलना - " स्वामी बन गया था। वह प्रजापालक था और उसकी प्रजा उससे प्रेम करती थी। अपने देश या देशवासियों के साथ उसने कभी भी दगा नहीं की। हैदरअली के चरित्र, अंगरेजों के साथ उसके युद्ध और उसके अद्भुत पराक्रम का बयान अगले अध्याय में किया जायगा। इसके खिलाफ़ हैदराबाद के राजकुल का संस्थापक निजामुलमुल्क दिल्ली का एक चलता हुआ दरबारी था, जो केवल चालबाजियों से बढ़ा और जिसने अपने स्वामी दिल्ली सम्राट के साथ विश्वासघात करके अपने लिए एक स्वतन्त्र राज कायम किया। जिस समय दोनों प्रसिद्ध भाई सय्यद अब्दुल्ला और सय्यद हुसेनअली उस 'जजिये' को, जिसे अकवर ने रद्द कर दिया था और जिसे औरङ्गजेब ने दोबारा जारी किया था, फिर से रद्द करवा कर तथा अन्य अनेक उपायों से मुगल साम्राज्य के नाश को रोकने के प्रयत्न कर रहे थे, उस समय निजामुलमुल्क ने इन दोनों दूग्दी भाइयों के खिलाफ साजिशें करके उनकी सत्ता को नष्ट किया। निज़ामुलमुल्क ने ही मराठों को उकसाकर मुगल साम्राज्य पर उनसे हमले करवाए । निजामुलमुल्क ही ने नादिरशाह को ईरान से बुलवा कर भारत तथा भारत सम्राट दोनों को अपमा- नित करवाया। निजामुल मुल्क ही सम्राट का पहला सूबेदार था, जिसने अपने सूबे को साम्राज्य से पृथक करके साम्राज्य के अंगभंग