पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६८१

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सर जॉन शोर

सर जान शोर ३६४ पर लगाया जा रहा है उनमें से कुछ में मिस्टर शोर वास्तव में हेस्टिंग्स का एक खास साथी और सहायक था । x xx "ऐसी हालत में आपके लिए यह सोच लेना बुद्धिमानी होगी कि एक ऐसे श्रादमी को, जिसका चरित्र ज़ाहिरा श्राप ही के काग़ज़ात से अत्यन्त निन्दनीय मालूम होता है, सब से ऊँचे और सब से अधिक अधिकार युक्त पद पर नियुक्त करने के क्या नतोजे हो सकते हैं x x x** वर्क ने इससे कहीं अधिक जोरदार पत्र इंगलिस्तान के 'भारत मन्त्री' हेनरी डण्डास के पास भेजा। किन्तु इन पत्रों का इंगलिस्तान के अधिकारियों पर कोई असर न हुआ और २८ अकबर सन् १७६३ को सर जॉन शोर ने कलकत्ते पहुँच कर गवग्नर जनरल का काम सँभाल लिया। उसी साल पार्लिमेण्ट ने एक नए शाही चारटर के ज़रिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी की जिन्दगी बीस साल के लिए और बढ़ा दी। हिन्दोस्तान का बना हुआ माल और ख़ासकर यहां का बुना कपड़ा it hasr found Ji-hore materia}}} enterned as a print pal artol ani puni tertun of the offenth chayen upon Mr Histings "In that stant, it is to thc pruder Oftlt tourt to conder the tomsequences whicly possiblr may tollow !rom Ftuding out, in aihers of the highest rank and ot the highest Possible power person whose cuduet, appearing on their ow Resords, 19 It thirst very erytprehensible, '--Lettel fhom Edmund Burke to FraCS Raring, f uria ol the Nount ot Director, ditel Ortober 14, 1742