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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६८६

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४०४
भारत में अंगरेज़ी राज

४०४ भारत में अंगरेजी राज कलकले पर चढ़ाई करके जिस तरह हो कम्पनी से शाही खिराज वसूल करता। किन्तु माधोजी अपनी कमजोरियों को खूब जानता था। अंगरेज़ माधोजी के बल को तोड़ने की पहले ही सं बोशिशें कर रहे थे। इतिहास लेखक प्रोगट डफ़ लिखता है :- "मिस्टर मैक्फरसन में यह सोचकर कि सीधिया की महत्वाकांक्षा बडी खतरनाक हो चली है, दूसरे मराठा नरेशों मे सौंधिया के खिलाफ जो ईर्षा और प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गई थी, उसे और अधिक भक्काकर सोंधिया की तरक्की को रोकने के लिए उसके मुकाबले में दूसरी ताक़तें खड़ी कर देने की कोशिश की* मॉस्टिन के बाद से अब तक कोई अंगरेज एलची पेशवा के दरवार में न भेजा गया था। अब चार्ल्स मैलेट कम्पनी का पलची नियुक्त होकर पूना पहुँचा। चार्ल्स मैलेट का खास काम था माधोजी मींधिया के खिलाफ दूसरे मराठा नरेशों को भड़काना और नाना के विरुद्ध गुप्त साजिशें करना। माधोजी के चित्त में भी अंगरेजों की ओर से काफी शङ्काएँ थीं । स्वयं कॉर्नवालिस का व्यवहार उसकी ओर खाला रूखा रहा । भूदाजी भोसले के साथ अंगरेजों ने अब इस तरह का पलूक शुरू किया, जिससे माधोजी सींधिया को मन्देह होगया कि अंगरेज़ मेरे खिलाफ मूदाजी को + Alauphenycon Concered that the mhitous nature of Scamdha's Pov 11 Nerr dangerous and enternusrd to use some counterpoise to lus ru n telme the realour and silly aheady entertamed wids Mrunan o thettariattt chter,'- Grintuis lastery of thedkar- halleryth3