सर जॉन शोर ४०५ तैयार कर रहे हैं। माधोजी इस कठिन समस्या के विषय में नाना फड़नवीस से सलाह करने के लिए पूना श्राया। इस दरमियान चास मैलेट ने पूना में रह कर माधोजी के विरुद्ध काफ़ी सामान पैदा कर दिया था। अहल्याबाई होलकर के आदर्श चरित्र और श्रादर्श शासन का जिक्र एक पिछले अध्याय में आ चुका है। अहल्याबाई के तीस वर्ष के शासन में उसकी प्रजा संसार में सब से सुखी और लव से. खुशहाल गिनी जाती थी। विदेशियों के साथ अधिक मेल जोल रखने के अहल्याबाई मदा खिलाफ़ रही। अपने देशवासियों के खिलाफ विदेशियों के साथ 'गुम सन्धियाँ' करना उसके लिए नामुमकिन था। किन्तु अहल्याबाई की मृत्यु के बाद उसके उत्तरा- धिकारी तुकाजी होलकर में न वह योग्यता रह गई थी और न वह चरित्र । अंगरेजो ने तुकाजी को माधोजी सींधिया के खिलाफ भड़काना शुरू किया, और ठीक उस समय जब कि माधोजी नाना फड़नवीस से सलाह करने के लिए पूना पाया, तुकाजी होलकर ने माधोजी के राज पर हमला कर दिया। पाएट डफ़ के इतिहास से मालूम होता है कि होलकर और सींधिया में उस समय कोई खास झगड़ा न मराठा मंडल की ___ था, बल्कि माधोजी सीधिया तुकाजी होलकर के साथ प्रेम से रहने के लिए उत्सुक था। तुकाजी होलकर का माधोजी सोंधिया के राज पर हमला करना सारे मराठा इतिहास में एक मराठा नरेश के दूसरे मराठा नरेश नव्यवस्था
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