पुराने हमल इस संक्षिप्त बयान से पाठकों को मालूम हो जायगा कि इस तरह के हमले भारत पर अन्य देशों की निस्बत अधिक नहीं हुए और न उन्हें भारत में अधिक सफलना ही प्राप्त हुई। इन हमलों के समय अपनी रक्षा न कर सकने के स्थान पर भारत ने ऐसे अवसरों पर यूरोपियन देशों के मुकाबले में कही अधिक सफलता के साथ अपनी रक्षा की और अक्सर अपने हमला करने वालों पर भौतिक और नैतिक दोनों तरह से विजय प्राप्त की। आर्यों का हमला भारत के ऊपर सब से पहला विदेशी हमला आर्य जाति का हमला बताया जाता है, जिसका समय यूरोपीय विद्वानों के अनुसार ईसा से करीब २,१०० साल पहले था। समस्त इतिहास लेखक इस बात को स्वीकार करते है कि आजकल के भारतवासी, ईरानी और यूरोपनिवासी सब उसी प्राचीन श्रार्य जाति की सन्तान हैं। कहा जाता है कि आज से चार पाँच हजार साल पहले या कुछ ज्यादा इन आर्य जाति के लोगों ने मध्य एशिया के किसी हिस्से से निकल निकल कर हिन्दोस्तान, ईरान और तमाम यूरोप को विजय और श्राबाद किया था। इसलिए यदि उस प्राचीन आर्य जाति द्वारा विजय किया जाना किसी देश के लिए भी ज़िल्लत की चीज़ माना जा सकता है तो वह हिन्दोस्तान के लिए केवल उतनी ही ज़िल्लत की चीज़ हो सकता है, जितना ईरान, रूस, जरमनी, फ्रान्स, इंगलिस्नान, यूनान, रोम इत्यादि के लिए, जिनकी भाषा और जिनकी सभ्यता पर प्राचीन पायर्यों की भाषा और सभ्यता की वैसी ही गहरी छाप पड़ी जैसी भारत में । इतना ही नहीं, बल्कि
- The Cambridge History of India, vol 1, P 697