बारे में बहुत अन्धविश्वासी हैं। यहाँ तक कि अगर किसी से कोई पाप हो जाय जैसे कि मूर्तियों का अपमान या धर्म च्युत होना इत्यादि, तो वह ब्राह्मणों के पास जाते हैं, जो उनके पुरोहित हैं। ब्राह्मण पापी को कुछ गाय का गोबर गाय के पेशाब में घोलकर और कुछ मीठा-घी और दूध पिलाकर पीने को देते हैं जिससे वह पवित्र हो जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ प्रायश्चित भी कराया जाता है। मैंने उनमें से एक मनुष्य को देखा है, जो कई दिन तक प्रायश्चित के तौर पर अपने होठों पर ताला लटकाये फिरता था।
बनिये लोग बहुत डरपोक होते हैं और हथियार उठाने से बचते हैं। यह अपने घरों में कोई शस्त्र तो एक तरफ चाक़ू या छूरी तक नहीं रखते जिससे किसी को कष्ट पहुँचने की सम्भावना हो। प्रश्नों का उत्तर देने में यह बहुत कतराते हैं। जैसे कि उस किस्से से किस्से पढ़ने वालों को पता लग गया होगा जिसका बयान मैं पीछे कर चुका हूँ। प्रायः लोग कहते हैं कि यदि उनसे केवल यह पूछा जाय कि आज कौन दिन है तो इस पर भी वह बहुत झेंपते हैं, और जवाब बड़ा भद्दा देते हैं। अगर कुछ पूछने वाला फिर जिद्द करे तो वह कह देते हैं कि हम नहीं जानते। अगर इस पर भी वह फिर पूछे तो कहेंगे क्या तुम्हें नहीं मालूम कि कल रविवार था। अगर वह फिर भी न माने तो जवाब देंगे तुम्हें पता नहीं कल शनीचर है। और अगर इसपर भी पूछने वाला पूछता चला जाय तो बहुत ठहर के और सोच के जवाब देंगे कि आज शुक्र (जुम्मा) है।
और यदि व्यापार के विषय में कोई प्रश्न किया जाये तो उसका फौरन उत्तर देते हैं। और ऐसा अच्छा हिसाब जानने वाले होते हैं कि थोड़े से थोड़े समय में बड़े से बड़े सवाल को हल कर देते हैं और हिन्दसे की भी भूल नहीं करते।
यह लोग किसी जीव को मारना बड़ा पाप समझते हैं और इस कारण यदि इनके शरीर पर कहीं कोई मच्छर, खटमल, जूँ, च्यूँटी या कोई दूसरा जीव चलता हुआ नजर आ जाय तो मारने के बजाय उसे आहिस्ता से उँगलियों के सिरों में पकड़कर दूर रक्षा के स्थान में जा रखते हैं। उनके घरों में खास-खास खाने बने होते हैं, जो इन जीवों से भरे होते हैं।