पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/१७६

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१६७ हमारी तालीम व तरबियत ठीक तौर पर करते, तो जरूर ऐसी ही इज्जत के मुस्तहक़ होते। आप हमको किसी तरबियतयाफ्ता नौजवान शख्स का नाम बतलायें, कि उसकी तालीम व तरबियत की बाबत शुक्रगुजारी का ज्यादा मुस्तहक़ उसका उस्ताद है या उसका बाप ? फ़रमाइये तो सही कि आपकी तालीम से कौन सी वाक़फियत मुझे हासिल हुई है। क्योंकि आपने तो मुझको यह बतलाया था कि तमाम फिरंगिस्तान (यूरोप) एक छोटे जज़ीरे से ज्यादा नहीं, जिसमें सबसे बड़ा बादशाह अव्वलन् शाह पुर्तगाल था, फिर बादशाह हॉलैंड हुआ, और इसके बाद बादशाह इंगलिस्तान । फिरंगिस्तान के और बादशाहों-मसलन्, फ्रान्स और इंगलैंड की बाबत यह बताया करते थे कि यह लोग हमारे यहाँ के छोटे-छोटे राजाओं के मुआफिक हैं, और यह कि हिन्दुस्तान के बादशाहों में सिर्फ हुमायू, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ हुए हैं, जिनके आगे तमाम दुनिया के बादशाहों की शान व शौक़त मद्धिम है। और यह ईरान, उजबक, काशगर, तातार, श्याम, चीन और माचीन के बादशाह सलातीन हिन्द के नाम से काँपते हैं । सुबहान अल्लाह ! आपकी इस जुग़राफ़ियादानी और कमाले-इल्म तवारीख का क्या कहना है ! क्या मुझ-जैसे शख्स के उस्ताद को लाज़िम न था कि वह दुनिया की हर-एक क़ौम के हालात से मुझे मुत्तिला करता ! मलसन् उनकी कुव्वत- जङ्गी से, उनके वसायल-आमदनी से, और तर्जे-जंग से, उनके रस्मो-रिवाज, मज़ाहिब और तर्जे-हुक्मरानी और उन खास-खास उमूर व तफ़सीम से जुदा-जुदा मुझको आगाह करता, जिनको वे अपने हक़ में ज्यादा मुफ़ीद समझते हैं। मेरे जैसे शख्स के उस्ताद को लाज़िम था कि वह मुझको इल्म तारीख ऐसी सिलसिलेवार पढ़ाता कि मैं हर एक सल्तनत की जड़-बुनियाद, असबाबतरक्क़ी व तनज्जुली और उनके साथ उन वाक़यात और उन ग़लतियों से वाक़िफ़ हो जाता, जिनके वायस उनमें ऐसे इन्क़लाबात होते रहे हैं । बनिस्बत इसके कि आप मुझे तमाम दुनिया की कामिल तारीख से आगाह करते, आपने तो हमारे उन मशहूर व मारूफ बुजुर्गों के नाम भी अच्छी तरह नहीं बतलाये, जो हमारी सल्तनत के बानी थे। उनकी सवाने- उम्री, खास-तौर की लियाक़त, जिनके बाइस वह बड़े-बड़े फ़तूहात करने के क़ाबिल हुए और उन फ़तूहात से पहले जो वाक़यात जहूर में आये, उनसे