पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/१८४

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१७५ बड़ी अभिलाषिणी रहती हैं। इनके ऐसा करने का कारण भी है। मैंने स्वयं देखा है कि कई बार उन्होंने मुझे सम्मति लेने के बहाने अपने कमरों में बुलाया, और बात-चीत का सिलसिला प्रारम्भ करने के लिये अपने जवाहिरात और जेवर मँगाने शुरू किये, जो सोने की बड़ी किश्तियों में रखकर इनके सामने लाये जाते थे। वे मुझसे उनकी जाति या गुण और विशेषतायें पूछतीं, साथ ही इस प्रकार के अन्य प्रश्न करतीं। इसी बीच में मुझे इनकी सारी पहचान हो गई, और मैं यह कह सकता हूँ कि मैंने लग- भग प्रत्येक प्रकार के जवाहिरात देखे हैं जिनमें बाज़ तो असाधारण हैं। मैंने एक बार रूप-रंग में एक-से मोतियों की माला देखी है, जिन्हें प्रथम बार देखकर तो मैंने भिन्न प्रकार के मेवेजात समझा था। मैंने मेवेजात कहा है, क्योंकि वह हीरों की माला थी, जो मोतियों की तरह बिंधी और पिरोई हुई थी। उनमें से प्रत्येक हीरा आकृति में नारियल के बराबर था। इनका लाल रंग, जिसमें मोतियों का सफ़ेद रंग अपनी आभा डालता था- इन्हें फल-फूलों का रंग देता था । क्योंकि बेगम जानती हैं कि इनके सिवाय कोई अन्य इनके जवाहिरात को नहीं पहन सकता, इन मालाओं को वे अपने कन्धों पर ओढ़नी की तरह पहनती हैं। इनके साथ दोनों तरफ़ मोतियों की मालाएँ होती हैं। बहुधा इनके गले में तीन से से लेकर पाँच तक मोतियों की मालाएँ होती हैं, जो कि पेट से नीचे के हिस्से तक पहुँचती हैं। सिर पर वे मोतियों का गुच्छा-सा पहनती हैं, जो माथे तक पहुँचता है, और जिसके साथ एक बहुमूल्य आभूषण जवाहिरात का बना हुआ सूरज, चाँद या किसी और तारे या कभी-कभी किसी फूल की आकृति का होता है। दाहिनी तरफ़ एक गोल छोटा-सा गहना होता है। जिसमें दो मोतियों के बीच जड़ा एक छोटा-सा लाल होता है। कानों में बहुमूल्य आभूषण पहनती हैं, और गर्दन के चारों तरफ़ बड़े-बड़े मोतियों तथा अन्य बहुमूल्य जवाहिरात के हार, जिनके बीच में एक बहुत बड़ा हीरा, लाल, याकूत या नीलम और इसके बाहर चारों तरफ़ बड़े-बड़े मोतियों के दाने । बाँहों पर कुहनी से ऊपर दो इंच चौड़े बहुमूल्य बाजूबन्द पहनती हैं, जिनके ऊपर विभिन्न जाति के मूल्यवान जवाहिरात जड़े होते हैं। चारों तरफ़ मोतियों के छोटे-छोटे गुच्छे लटकते हैं। कलाई पर बड़ी