१७६ क़ीमती पहुँचियाँ या मोतियों के गुच्छे १० या १२ पंक्तियों में होते हैं । इस तरह पर इनकी नब्ज़ की जगह इस तरह ढकी होती है कि मुझे बहुधा इस पर हाथ रखना बड़ा कठिन हो जाता था। उँगलियों में बहुमूल्य अंगूठियाँ पहनती हैं, और दाहिने हाथ के अंगूठे में एक आरसी होती है जिसमें जवाहिरात का एक छोटा-सा गोल आइना तथा इर्द-गिर्द मोती जड़े होते हैं। इस आइने में वे बार-बार मुह देखती हैं, क्योंकि इस बात की वे शौक़ीन होती हैं, और हर-घड़ी इनकी दृष्टि इसी पर लगी रहती है। इनके कमरे के चारों ओर सोने का एक पटका दो अंगुल चौड़ा होता है, जो सारे-का-सारा जवाहिर से भरा हुआ होता है। इज़ारबन्द दोनों सिरों पर, जो इन के पाज़ामों को बाँधने का काम देता है-पाँच अँगुल लम्बे पन्द्रह लड़ के मोतियों के गुच्छे लटकते हैं, और टाँगों के नीचे के भाग में या तो सोने की पाजेब, या बड़े-बड़े मोतियों की लड़ियाँ । इन गहनों के सिवाय-जिनका मैं इस स्थान पर उल्लेख नहीं करता-और जो वे अपनी-अपनी इच्छानुसार पहनती हैं, इन शाहजादियों के पास उपरोक्त गहनों के छः से लेकर आठ तक जोड़े होते हैं। इनकी पोशाकें बहुमूल्य में बसी हुई होती हैं। दिन-भर में कई-कई बार में वे वस्त्र बदलती हैं, क्योंकि पूर्वीय देशों में ऋतु में कई परिवर्तन होते रहते हैं। जब ये महिलायें अपने जवाहिरात को बेचना चाहें, तो इनके लिये ऐसा करना असम्भव हो जाता है; क्योंकि मुझे मालूम है कि शाहजादा अकबर जब शिवाजी के इलाके में था, तो रुपया समाप्त हो जाने के कारण उसने पाँच लाल गोआ में बेचने के लिये भेजे थे, जो इन्हीं जवाहिरातों के बराबर थे। पर इन्हें खरीदने पर कोई राजी न था। क्योंकि एक तो उनकी क़ीमत बहुत माँगी गई थी, दूसरे वह छिपे हुए न थे। "हिन्दुस्तान में सभी स्त्रियाँ अपने हाथों और पैरों में एक प्रकार की मिट्टी लगाती हैं-जिसे मेंहदी कहते हैं । इससे उनके हाथ-पाँव लाल रंग के हो जाते है। मानो, इन्होंने दस्ताने पहन रखे हैं। इनके ऐसा करने का कारण यह है कि चूंकि यह देश बहुत गर्म है, इसलिये न तो यहाँ दस्ताने और न मोजे ही पहने जाते हैं। इसी कारण से इनको ऐसी बारीक पोशाक पहननी पड़ती है कि शरीर के अंग-प्रत्यंग भी दीख पड़ते हैं। इन और इत्र-गुलाब 1
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