१६१ सवार हों, जैसा कि पहले नियत था, तो यह भी अमीरों के बराबर हो जायें । परन्तु आजकल इनके पास केवल दो-चार घोड़े रहते हैं, जिन पर बादशाही चिन्ह लगे रहते हैं । इनका वेतन कभी-कभी १५०) रु० मासिक तक होता है । परन्तु ७००) रु० मासिक से अधिक नहीं होता। रोजीनेदार भी एक प्रकार के सवार ही हैं, जिनका वेतन प्रतिदिन मिल जाया करता है; जैसाकि स्वयं उनके नाम से प्रकट है । परन्तु इनकी आमदनी बहुत है । कभी-कभी तो ये लोग मनसबदारों से भी अधिक पा लेते हैं । तथापि विशेष प्रकार का वेतन होने के कारण अधिक वेतन से इनकी प्रतिष्ठा नहीं है, और मनसबदारों की भाँति ये लोग ऐसे कालीन और फर्श मोल लेने को विवश नहीं हैं, जो महलों में काम में आने के बाद मनसब- दारों को लेने पड़ते हैं; तथा प्रायः जिनके लिये मनसबदारों को बहुत मूल्य देना पड़ना है । इन लोगों की संख्या बहुत अधिक है, और छोटे-छोटे कार्य इन लोगों के सुपुर्द हैं । इनमें बहुत-से मुत्मद्दी और नायब-मुत्सद्दी हैं, और बहुत-से इस काम पर नियुक्त हैं कि उन आज्ञा-पत्रों पर, जो रुपया देने के लिये लिखे जाते हैं-सरकारी मुहर लगायें। उन्हींमें कुछ ऐसे हैं, जो इन आज्ञा-पत्रों का कार्य शीघ्र समाप्त कर देने के बदले घूस लिया करते हैं। अब साधारण सवारों का वृत्तान्त सुनिये । ये उन अमीरों के आधीन होते हैं जिनका हाल ऊपर लिखा जा चुका है । साधारण सवार दो प्रकार के होते हैं-एक तो दो घोड़ेवाले, जिनको बादशाही सेवा के लिये तैयार रखना अमीरों के लिये आवश्यक है, और जिनके घोड़ों की रानों पर उन अमीरों के चिह्न लगे रहते हैं। दूसरे एक घोड़ेवाले होते हैं, और दो घोड़े- वालों का वेतन और सम्मान एक घोड़ेवाले की अपेक्षा अधिक है । यद्यपि सरकार से एक घोड़ेवाले सवार के निमित्त २५) रु० मासिक के हिसाब से मिलता है; परन्तु सवारों को कम या अधिक देना बहुत-कुछ उनके सरदारों, अर्थात् अमीरों की उदारता पर निर्भर रहता है । पैदल सिपाहियों का वेतन सब प्रकार के ऊपर लिखे कर्मचचारियों से कम है। इनकी श्रेणी के लोग बन्दूकची हैं। इन्हें आराम और शान्ति के समय भी बहुत-से बखेड़ों में रहना पड़ता है । अर्थात् बन्दूक चलाते समय
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