पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/२१७

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- २०८ बैठकर, सूड़ ऊपर की ओर उठाकर चिङ्घाड़ता है, जिसे लोग उसका सलाम करना समझते हैं। इसके उपरान्त और-और जानवर पेश होते हैं । सिखाये हुए हरिन लड़ाये जाते हैं । नीलगाय, गैंडे और बंगाल के बड़े-बड़े भैसे भी लाये जाते हैं जिनके सींग इतने लम्बे और तेज होते हैं, कि वे शेर के साथ लड़ सकते हैं । चीते, जिनसे हिरन का शिकार खेला जाता है, और अनेक प्रकार के शिकारी कुत्त, जो बुखारा आदि से आते हैं, जिनके बदन पर लाल रंग की झूलें पड़ी होती हैं—पेश होते हैं। अन्त में शिकारी पक्षी, जैसे-बाज़, शिकरे आदि, जो तीतर और खरगोश को पकड़ते हैं, पेश किये जाते हैं । कहते हैं, यह पक्षी हिरन पर भी छोड़े जाते हैं; जिन पर यह बहुत तेजी से झपटते और पंजे मार-मारकर उन्हें अन्धा कर देते हैं । इन सब के पेश हो जाने के बाद कभी-कभी दो अमीरों के सवार भी पेश किये जाते हैं, जिनके कपड़े और समय की अपेक्षा अधिक बहुमूल्य और सुन्दर होते हैं। इनके घोड़ों पर पाखरें पड़ी होती हैं । तरह-तरह के जेवर, जैसे- हैकल, झुनझुने आदि, से वे सजे होते हैं । बहुधा बादशाह को प्रसन्नता के लिये अनेक खेल किये जाते हैं । मरी हुई भेड़ें, जिनका पेट साफ़ करके फिर सी दिया जाता है, बीच में रख दी जाती हैं। उमरा मन्सबदार, गुर्जबर्दार और नेजा बर्दार, उन पर तलवार से अपना करतब दिखलाते हैं, और एक ही हाथ में उन्हें काटने की चेष्टा करते हैं। यह सब खेल दरबार के आरम्भ में हुआ करते हैं। इनके बाद राज्य-सम्बन्धी अनेक मामले पेश होते हैं। फिर बादशाह सब सवारों को बड़े गौरव से देखता है। जब से लड़ाई बन्द हुई, कोई सवार या पैदल ऐसा नहीं है, जिसे बादशाह ने स्वयं न देखा हो ।। बहुतों का वेतन बादशाह स्वयं बढ़ाता, अनेकों का कम करता, और कइयों को बिल्कुल ही मौकूफ़ कर देता है । "इस अवसर पर सर्वसाधारण जो अर्जियाँ पेश करते हैं, वे सब बाद- शाह के कानों तक पहुँचती हैं, और बादशाह स्वयं लोगों से उनके दुःख के विषय में पूछता और उनके निवारण के उपाय करता है। इनमें से दस अर्जियाँ देने वाले चुनकर सप्ताह में एक दिन बादशाह के सामने पेश किये जाते हैं, और उस दिन बादशाह पूरे दो घण्टों तक वे अर्जियाँ सुना करता