पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/२४

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विश्राम कर रहे थे, स्त्रियाँ भोजन बना रही थीं, बच्चे खेल रहे थे, उन पर वे सैनिक टूट पड़े और लूटकर कत्ल कर डाला। इनमें से सिर्फ़ एक आदमी बचकर भाग सका। बादशाह की पुत्री भी इस झुण्ड में थी, उसे ख़लीद ने यह कह कर छोड़ दिया कि जा और अपने बाप से कह कि मुसलमानी धर्म ग्रहण करे, वरना मैं शीघ्र ही उसका सिर उतारने आता हूँ।

इस तमाम लूट का पाँचवाँ भाग खलीफ़ा के पास भेजकर शेष उसने आपस में बाँट लिया। परन्तु माल पहुँचने के पूर्व ही खलीफ़ा की मृत्यु हो गई।

कुछ लोगों का कथन है कि उसे विष दिया गया। उसने अपना उत्तराधिकारी उमर इब्नेखत्ताब को नियत किया। वह तिरसठ वर्ष की आयु में मरा।