पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/७१

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के राजा जयपाल थे। इन्होंने खैबर घाटी को सुरक्षित रखने को और उधर से किसी भी शत्रु को भारत में न घुसने देने की शर्त पर शेख़ हमीद नामक एक मुसलमान को पेशावर और खैबर का इलाका देकर नवाब बना दिया था।

सुबक्तग़ीन को आगे बढ़ता देख महाराज जयपाल ने आगे बढ़ कर जलालाबाद पर छावनी डाल दी। यह स्थान खैबर घाटी के पश्चिमी मुहाने पर अफग़ानिस्तान की सीमा में है। सुबुक्तग़ीन युद्ध का समय टालता रहा। महाराज जयपाल इस भेद को नहीं समझे। जब शीत पड़ने लगा और बर्फ गिरने लगी तब सुबुक्तग़ीन ने धावा बोल दिया। जयपाल की सेना सर्दी से निकम्मी हो गई थी, उससे युद्ध करते न बना। निदान वे लौटे। परन्तु शेख हमीद ने इधर से घाटी का मुहाना रोक दिया। महाराज जयपाल घाटी में सेना सहित घिर गये। निरुपाय होकर उन्होंने बहुत सा धन, हाथी-घोड़े आदि देने का वचन देकर सन्धि करली और सुबुक्तग़ीन के आदमियों को साथ लेकर लाहौर लौट आये। परन्तु देने लेने पर सुबुक्तग़ीन के आदमियों से महाराज का झगड़ा होगया। सुबुक्तग़ीन भारत में घुस आया। पेशावर में युद्ध हुआ और राजा की पराजय हुई। उनकी समस्त सम्पदा लूट ली गई। राजा ने अग्नि कुण्ड में प्रवेश कर आत्मघात किया। यह शेख हमीद की नमक हरामी थी। पंजाब पर मुसलमानों का अधिकार हो गया।

कासिम के आक्रमण के बाद बहुत से मुसलमान फकीर उत्तर भारत में फिरने लगे थे। उनकी तरफ हिन्दू शासकों का कुछ ध्यान भी न था। इनकी ज़ियारत करने तुर्कीस्तान, फारस, अफ़गानिस्तान और बिलोचिस्तान से बहुत से मुसलमान आते, जिनकी कोई रोक टोक और देख भाल नहीं होती थी। बहुत से मुसलमान साधू हिन्दू साधुओं का वेश धारण करके मन्दिरों और मठों में रह जाते थे। प्रसिद्ध कवि शेख़शादी सोमनाथ के मन्दिर में कुछ दिन हिन्दू साधु बनकर रह गया था---इस बात का जिक्र वह खुद अपनी 'वास्ता' नामक किताब में करता है। ये सब लोग बहुधा जासूसी करते थे और भारत की ख़बरें मुसलमान शक्तियों तक पहुँचाते थे तथा हिन्दू राजाओं की परिस्थिति का अध्ययन किया करते थे।

अली बिन उस्मान अलहज़वीसी जिसने कशकुल महजूब की रचना