पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/८७

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किया था। लाहौर का राजा जयपाल जब महमूद से पराजित हुआ तो उसने ग्लानि के मारे स्वेच्छा से अपने को अग्निकुण्ड में डालकर यश स्थिर रखा था, वह हम पीछे लिख चुके हैं।

क़ासिम के आगमन काल में प्रायः सर्वत्र ही हिन्दू राज्य था। महमूद के आक्रमण तक भी इसमें कमी न हुई थी। महमूद ने चेष्टा करके पंजाब का कुछ अंश अधिकृत किया, पीछे मुहम्मद ग़ौरी ने अन्तिम आक्रमण के समय बारहवीं शताब्दी के अन्त में भी दिल्ली की हद को छोड़कर सर्वत्र हिन्दू राज्य था। इसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके हिन्दू राज्य नष्ट होने लगे और मुसलमानी राज्य स्थापित होते गये। प्रथम बिहार, फिर पश्चिमी बंगाल, उसके बाद पूर्वी बंगाल भी मुसलमानों के आधीन हो गये। मालवे और उज्जैन में अभी तक हिन्दू राज्य थे---तेरहवीं शताब्दी के अन्त तक गुजरात में हिन्दू राज्य रहे। काश्मीर चौदहवीं शताब्दी के आरम्भ में मुसलमानों के हाथ पड़ा। अकबर के समय तक उड़ीसा हिन्दू राज्य के आधीन था। बदाऊँनी ने लिखा है---उड़ीसा का राजा अन्य राजा की अपेक्षा सैन्य बल में प्रसिद्ध था। अकबर ने उससे मेल करने को दूत भेजे थे। सन् १५६० में वह मुसलमानों के हाथ में आया।

इसीके पाँच वर्ष पीछे दक्षिण का हिन्दू राज्य विजयनगर मुसलमानों के हाथ लगा। उसके दक्षिणी भाग के हिन्दू राजाओं ने अठारहवीं शताब्दी तक स्वाधीनता की रक्षा की।

सब से प्रथम अकबर ने दिल्ली में बैठकर मध्य भारत के हिन्दू राज्यों को छीनना शुरू किया। सोलहवीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में हिन्दू राजा हिमालय के उच्च प्रदेशों में शक्तिशाली थे। उनके पास प्रायः एक लाख पैदल और दस हज़ार सवार थे। राजपूताने ने यद्यपि सिर झुका लिया था, पर हिन्दू शक्ति वहाँ भी प्रभावशाली थी। बाबर ने लिखा है कि जिस समय मैंने दिल्ली अधिकृत की थी, उस समय दक्षिण में विजयनगर और राजपूताना में चित्तौड़, ये दो प्रबल शक्तियाँ थीं। अकबर के समय तक जोधपुर के हिन्दू राजा के पास अस्सी हजार सवार थे। उस समय बुन्देलखण्ड का भी राजा महाशक्तिकाली था। आसाम, कूचविहार, टिपटा और अकरान प्रबल हिन्दू राजाओं के आधीन थे। और मुसलमानों