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नायिका वर्णन

 

३–रूपगर्विता
उदाहरण
सवैया

हरिजू सो हहा हटकोरी भटू, जनि बात कहे जिय सोचनि की।
कहि पंकजनैनी बुलाइ के मोहि, दई सुखमा सुख मोचनि की॥
उनहीं सो उराहनो देऊ त तौ, उमगै उररासि सकोचनि की।
बलिवारों री बीर जु बारिज कौ, जु बरावरि बीर बिलोचनि की॥

शब्दार्थ—हटको–बरजो, मना करो। पंकजनैनी–कमल जैसे नेत्र वाली। मोहि–मुझे। उराहनो–उलाहना। सकोचनि–संकोच। बारिज–कमल। बिलोचनि–आँखे।

दोहा

हैं बियोग सिंगार मै, बरन्यो मान प्रकार।
ताही के मतमानिनी कविवर करत विचार॥

शब्दार्थ—बरन्यो–वर्णन किया है।

शब्दार्थ—मान का वर्णन वियोग शृंगार में हो चुका है, अतः उसी के अनुसार मानिनी का वर्णन समझना चाहिए।

अवस्था भेद
दोहा

स्वाधीना उतकण्ठिता, बासकसज्जा बाम।
कलहन्तरिता खण्डिता, विप्रलब्धका बाम॥