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पञ्चम विलास
अलंकार
देवजी ने निम्न अलंकार मुख्य माने हैं और उन्हीं का भाव-विलास में वर्णन किया है। शेष अलंकारों के सम्बन्ध में उनका मत है कि वे इन्हीं के भेद और उपभेद हैं।
१—स्वभावोक्ति | ११—सहोक्ति | २१—अर्थान्तरन्यास | १३—सूक्ष्म |
२—उपमा | १२—विशेषोक्ति | २२—व्याजस्तुति | ३२—प्रेम |
३—उपमेयोपमा | १३—व्यतिरेक | २३—अपस्तुतिस्तुतिया प्रशंसा | ३३—क्रम |
४—संशय | १४—विभावना | २४—आवृत्ति दीपक | ३४—समाहित |
५—अनन्वय | १५—उत्प्रेक्षा | २५—निर्दशना | ३५—तुल्ययोगिता |
६—रूपक | १६—आक्षेप | २६—विरोध | ३६—लेस |
७—अतिशयोक्ति | १७—दीपक | २७—परिवृत्ति | ३७—भाविक |
८—समासोक्ति | १८—उदात्त | २८—हेतु | ३८—संकीर्ण |
९—वक्रोक्ति | ९१—अपन्हुति | २९—रसवत | ३९—आशिष |
१०—परयायोक्ति | २०—श्लेष | ३०—उर्जस्वल |