पृष्ठ:भाव-विलास.djvu/१५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
अलंकार
कवित्त

प्रथम स्वभावउक्ति उपमोपमेय संस,
अनन्वय अरु रूपक बखानियें।
अतिसय समास बक्रयुक्ति पर यायउक्ति।
सहित सहोक्ति सविशेष उक्ति जानियें॥
तातें व्यतिरेक हैं बिभाव उतप्रेक्षाक्षेप,
दीपक उदात हैं अपन्हुति आनियें।
अरु असलेखा न्यासअर्थान्तर व्याजस्तुति।
अप्रस्तुत प्रस्तुति सु अलङ्कार मानियें॥
आवृत निर्दसन बिरोध परिवृत्ति हेतु,
रसवत उरज ससूछम बताइये।
प्रियक्रम समाहित तुल्ययोग्यता औ लेस सवै।
भाविक औ संकीरनि आसिख सुनाइये॥
अलङ्कार मुख्य उनतालीस है देव, कहैं,
येई पुराननि मुनि मतनि मैं पाइये।
आधुनि कविन के संमत अनेक और,
इनहीं के भेद और बिबिध बताइये।

शब्दार्थस्वभावोक्ति, उपमा, उपयोपमा, संशय, अनन्वय, रूपक, अतिशयोक्ति, सामासोक्ति, वक्रोक्ति, पर्यायोक्ति, सहोक्ति, विशेषोक्ति, अर्थान्तरन्यास, व्यतिरेक, विभावना, उत्प्रेक्षा, आक्षेप, दीपक, उदात्त,