पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/१०४

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भाषाओं का वर्गीकरण ८३ की राजनीतिक भाषा थी। इसी प्रकार की दशा प्राचीन काल में संस्कृत और आजकल अँगरेजी की है। फलतः इन दोनों की भी प्रवृत्ति व्य हित और रूप-त्याग की ओर स्पष्ट देखी जाती है। आधुनिक फारसी और उसकी प्रांतीय विभाषाओं के अतिरिक्त कुछ ऐसी भाषाएँ भी बोली जाती हैं जिनका संबंध ईरानी वर्ग की किसी अन्य प्राचीन भाषा से है । सुदूर उत्तरी पहाड़ी अन्य विभाषाएँ और बोलिया में बोली जानेवाली गालचा आदि पासीरी बोलियाँ सोन्दी से और पश्तो ( अफगानी ) अवै स्ता से निकली मानी जाती हैं। बलोचिस्तान की बल्लुची का भी इसी पूर्वी वर्ग से संबंध है, पर अभी निश्चय नहीं हो सका है कि इसकी पूर्वज कौन है, क्योंकि इसने अर्राचीन फारसी से बड़ी घनिष्ठता कर ली है। इसके अतिरिक्त सेटिक, कुर्दी ( कुर्दिश) और कई कास्पियन बोलियाँ भी मिलती हैं। ओसेटिक काकेशस के एक प्रांत की भाषा है। इस पर अनार्य भाषाओं का बड़ा प्रभाव पड़ा है। कुर्दी पर अर्वाचीन फारसी की छाप लगी है। अन्य बोलियों का विशेष अध्ययन अभी तक नहीं हो सका है। इस प्रकार ईरानी वर्ग का थोड़ा अध्ययन करने से भी कुछ ऐसी ध्वनि-संबंधी सामान्य विशेषताएँ देख पड़ती हैं जो उसकी सजातीय ईरानी भापावर्ग की भाषा संस्कृत में नहीं मिलती। जैसे भारोपीय सामान्य विशेषताएं मूल-भाषा का स् संस्कृत में क्यों का त्यों सुरक्षित है पर ईरानी में उसका विकार ह होता है। (१) सं० प्रा०मा० सिंधु हिंदु हिंद सर्व होवे अबस्ता अवो० फा० . ..... सप्त सचा हचा (साथ) (२) भारोपीय भ, ध, भ के स्थान में ईरानी ग, द, व आते हैं। यथा-