पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/१२०

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पन भाषाओं का वर्गीकरण चोडो ( बाड़ा) बोलियाँ आसामी अनार्य भाषा हैं और नागा' भी वमी के बाहर ही पड़ती है ! वोडो (बाड़ा) और नागा का हिमालयो शाखा से घनिष्ठ सबंध है; कुकीचिन और बर्मी अधिक स्वतंत्र हैं और शेष में मध्यावस्था पाई जाती है । बोडो बोलियाँ धीरे धीरे लुप्त होली जा रही हैं। नागा बोलियाँ निविड़ जंगल में रहने के कारण आर्य भाषाओं का शिकार नहीं हो सकी हैं। उनमें उपबोलियों की प्रचुरता आश्चर्य में डाल देती है। नागा वर्ग में लगभग ३० बोलियाँ हैं। उनका क्षेत्र वही नागा पहाड़ है। उनमें कोई साहित्य नहीं है, व्याकरण की कोई व्यवस्था नहीं है और उच्चारण भी क्षण क्षण, पग पर बदलता रहता है। कुकीचिन वर्ग की एक बड़ी विशेषता है कि उसकी एक भाषा मेईथेई सचमुच भाषा कही जा सकती है। उसमें प्राचीन साहित्य भी मिलता है । १४३२ ई० तक के मनीपुर राज्य के इतिवृत्त ( Chronicle ) मेईथेई भाषा में मिलते हैं। उनसे मेईथेई के गत ५०० वर्षों का विकास सामने आ जाता है । इस ऐतिहासिक अध्ययन से एकाक्षर भाषाओं के क्षणिक और विकृत होने का अच्छा नमूना मिलता है । 'अब तो इस एकाक्षर-वंश की रानी चीनी भाषा के भी प्राचीन इतिहास का पता लग गया है । उसमें पहले विभक्ति का भी स्थान था । कुकीचिन वर्ग की दूसरी विशेषता यह भी है कि उसकी भाषाओं और बोलियों में सची क्रियाओं (Finite verbal forms ) का सर्वथा अभाव पाया जाता है; उनके स्थान में क्रियार्था संज्ञा, अव्यय कृदंत आदि अनेक प्रकार के कृदंतों का प्रयोग होता है । आर्य भाषाओं पर भी इस अनार्य प्रवृत्ति का गहरा प्रभाव पड़ा है। मेईथेई के अतिरिक्त इस वर्ग की साहित्यिक भाषा बर्मी है पर. यह तो एक अमर भाषा सी है। सची वर्मी भाषाएँ तो बोलियाँ हैं। उनके उच्चारण और रूप की विविधता में से एकता खोज निकलना बड़ा कठिन काम है। आर्य भाषा परिवार के पीछे प्रधानता में द्राविड़ परिवार ही