पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/७४

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1 भाषाओं का वर्गीकरण (उसने लिखा ), तक्तुबू (वह लिखती है), कतबना ( हमने लिखा ). और ताक्तूबू (हम लिखते हैं ) आदि अनेक रूप वन जाते हैं। इन भाषाओं की एक विशेषता यह भी है कि इनमें हेमेटिक और भारोपीय परिवार की नाई व्याकरणिक लिंग-भेद होता है । इनमें कारक तीन ही होते हैं कर्ता, कर्म और संबंध । अंतिम दो कारकों की विभक्तियों द्वारा सभी अवशिष्ट विभक्तियों का काम चल जाता है। सेमेटिक की एक विचित्रता यह भी है कि कुछ सर्वनाम क्रियाओं के अंत में जोड़ दिये जाते हैं, जैसे---दरव-नी (उसने मुझे मारा), कतव-ई (मेरी किताव ) इत्यादि। पर सेमेटिक में वैसे समास नहीं बनते जैसे भारोपीय भापाओं में पाए जाते हैं। इस परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी भापाओं में परस्पर बहुत कम अंतर पाया जाता है। अन्य परिवार की भापाएँ एक दूसरे से बहुत दूर जा पड़ती हैं पर इस परिवार की भाषाओं में थोड़े ध्वनिविकार-जन्य भेदों को छोड़कर कोई विशेष अंतर नहीं हुआ है। कुछ भाषाएँ बहुसंहित से व्यवहित हो गई हैं पर इससे कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं हो गया है। सेमेटिक परिवार के दो विभाग किए जा सकते हैं-उत्तरी सेमेटिक और दक्षिणी सेमेटिक । उत्तरी सेमेटिक में असीरियो और केनानिटिक और दक्षिणी सेमेटिक में अरवी तथा जोक्तानिद (अबीसीनियन) भाषाएँ आती हैं। साहित्यिक अरवी सेमेटिक भाषा की प्रतिनिधि है। यह मध्य अरव की कुरचा जाति की वोली थी। इसको कुरान और इस्लाम धर्म ने अधिक उन्नत और साहित्यिक बना दिया। 4 4 अब यूरेशिया का ही नहीं, विश्व का भी सबसे बड़ा भाषा- परिवार सामने आता है। इस भरोपीय (भारत-यूरोपीय ) परिवार के बोलनेवाले भी सबसे अधिक हैं और इसका भारोपीय परिवार साहित्यिक और धार्मिक महत्त्व सबसे अधिक है। इस परिवार का अध्ययन भी सबसे अधिक हुआ है । फा०५