पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१४१

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भाषा का प्रश्न .. इसके विषय में हमें यहाँ कुछ भी नहीं कहना है लेकिन अगर उनका उद्देश्य उर्दू, उसी उर्दू से है जिसकी रामकहानी अपर सुन चुके हैं तो खरे और स्पष्ट शब्दों में हम साफ साफ डके की चोट पर अर्ज करेंगे कि उनका यह दावा सोलहों आने गलत है। अगर उनको कुछ भी हक का ख्याल और अदब है तो कृपया उस हिंद का नाम बता दें जिसने 'हातिम से लेकर 'नासिख' तक इसमें शिरकत की है और उसकी सनद उर्दू के पास धरी है। यदि चे ऐसा नहीं करते तो स्पष्ट है कि इस तरह की धाँधली का गुर क्या है और क्यों इस प्रकार का जाल बिछाया जा रहा है। माना कि सात समुंदर पार के लोग नादानी से इस तरह की बातें लिख गए हैं कि उनसे मौलाना हक को कुछ इस प्रकार कहने में मदद मिल जाती है, पर इतने ही से वे प्रमाण तो नहीं हो गए। अगर उनको 'उर्दू' का ठीक ठीक पता नहीं है, उर्दू लफ्ज को पकड़कर उर्दू के आचार्य बन बैठे हैं तो इस रोशनी के जमाने में उनकी चलती कब तक रहेगी। किसी न किसी दिन उन्हें भी प्रकाश में आकर सत्य का पक्ष लेना ही पड़ेगा। हक उनको यों ही नहीं रहने देगा। उनके भी जिगर में हक की हूक उठेगी। हर्षे की बात है कि उन्होंने इतना सहर्ष स्वीकार भी कर लिया है--- "अलबत्तः उर्दू पर एक ऐसा तारीक जमानः आया कि हमारे शोरा ने अक्सर हिंदी लफ्जों को मतरूक करार दिया १-उदू (वही ) अप्रैल सन् १९३७ ई०, पृ० ३८६ ।