पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१८१

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भाषा का प्रश्न 1 करवा के लिखा गया है। यदि कोई कहे कि यह अर्थ - ठीक नहीं है तो उसको उचित है कि मौलवी साहबों के तर्जुमों का पहिले खंडन करे पश्चात इस विपद पर लिखे ।" इस्लाम के समीक्षक की भाषा का नमूना यह है- "जब मुसलमान लोगः सिवाय खुदा के किसी के साथ ईमान नहीं लाते और न किसी को खुदा का सामी मानते हैं तो पैगंबर साहेब को क्यों ईमान में खुदा के साथ शरीक किया ? अल्लाह ने पैगंबर के साथ ईमान लाना लिखा इसी से पैरावर भी शरीक हो गया।" गया के पंडों को इन शब्दों में याद करते हैं- "जो लोग आँख के अधेि गाँठ के पूरे उनके जाल में जा फँसते हैं उनको गयावाले उलटे उस्तरे से खूव हजामत बनाते हैं।" बस, स्वामीजी की भाषा का कथावाला नमूना भी देख लीजिए--- "कभी एक आधी रात में किसी साहूकार का नौकर एक हजार रुपयों की थैली ले के किसी साहूकार की दुकान पर जमा करने को जाता था। बीच में उचक्के आकर रुपयों की थैली छीन कर भागे। उसने जब पुकारा तब थाने के सिपाहियों ने आकर पूछा कि क्या है ? उसने कहा कि अभी उचक्के मुझसे 1 .१--सत्यार्थप्रकाश शताब्दी संस्करण पृ० ७३० । श० पृ० ६२६-३० शताब्दी संस्करण पृ०७६३ ।। "