पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/२८

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राष्ट्रभाषा की परंपरा २१ नहीं। कोई भी मनीपी उनको किसी निश्चित सीमा के भीतर धेर नहीं सकता। हम उन्हें प्रत्यक्ष ही छिट-फुट रूप में पाते हैं। अतएव हमारी धारणा है कि प्रस्तुत प्रसंग में पिशाच देश का अर्थ है पिशाचों का देश अर्थात् वे देश जिनमें पिशाचों की प्रधानता हो। पिशाच शब्द की निरुक्ति के विषय में सहसा कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता। पैशाची के परम संशोधक सर जार्ज ग्रियर्सन भी उसके निरूपण में असमर्थ ही रहे हैं। हम ऊपर देख चुके हैं कि पिशाचों की गणना शिवानुचरों में की गई है और उनकी स्त्रभूमि-भाषा संस्कृत कही गई है। हमारी धारणा है कि शकादि जातियों के पिशाच-रूप को देखकर उन्हीं को पिशाच की संज्ञा दी गई और शैव होने के कारण उन्हें शिवानु- चर भी कह दिया गया। राष्ट्र का शासन-सूत्र जब उनके हाथ में आ गया तब उन्हें भी शिष्टता के अनुरोध से संस्कृत- भापी बनना पड़ा। पुराविदों को पूरा पूरा पता है कि 'क्षत्रप', जो वास्तव में शक या पिशाच थे, संस्कृत का व्यवहार करते -Linguistic Survey of India Vol. I. Part I Introductory P. 108. २-~-महासत्रय रुद्रदामन के उत्कीर्ण लेख (१५०.३ ई०.) को मीमांसा में कीथ महोदय कहते हैं :-"But what is far . more important is that the author thinks it fit to ascribe to the king the writing of poems in both prose and