पृष्ठ:भूगोल.djvu/१०६

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अजयगढ़ राज्य का स्थिति तथा क्षेत्रफल- प्राकृतिक विभाग- अजयगढ़ राज्य के दो भागों में विभाजित है। लगभग सारा राज्य पन्ना श्रेणी में स्थित है। एक भाग मुख्य नगर के चारों ओर का है और और बनों से घिरा है । बर्षा और शीतकाल में यह दूसरा नगर के दक्षिण मइहर के समीप का है। प्रदेश बड़ा ही रमणीक हो जाता है। इसकी पहाड़ियाँ और दूसरे अथवा दक्षिणी भाग का क्षेत्रफल टीक और तेन्दू के वृक्षों से हरी भरी रहती हैं। ५१३ वर्गमील है तथा कुल दोनों घाटियों में छोटे वृक्ष तथा भाड़झंकाड़ होते हैं। इनके क्षेत्रफल ८०२ वर्गमील है। बीच सैकड़ों नदी नाले हैं। जिधर जाइये उधर ही घाटियाँ और पहाड़ियाँ दिखाई पड़ती हैं । विन्ध्या- नामकरण- चल की तलहटी और विन्ध्याचल की बालाय खारी इस राज के नाम पड़ने के दो कारण बताए यह दो मुख्य प्राकृतिक भाग हैं। विन्ध्याचल की जाते हैं । यहां एक किला था जिसका नाम "जय बालाय खारी के फिर दो भाग हैं (१) कुतर दुर्ग या जयपुर दुर्ग" था उसी से बिगड़ कर अजय मालवा (२) अन्तर पठार । अन्तर पठार में हीरा गढ़ हुआ। “जयदुर्ग या जयपुर दुर्ग" नाम क़िले की पाया जाता है। अधिक बराबर तलहटियों में खेती दीवार पर खुदा है। होती है। दूसरी कहानी यह है कि यहां केदार पर्वत पर पहाड़ियाँ और नदियाँ- अजय-पाल नामक साधु वास करते थे। वे आश्चर्य- जनक और अद्भुत कृपाओं के लिये प्रसिद्ध थे। पहाड़ियाँ १७०० से १६०० फीट तक ऊँची हैं। अजयपाल, अजमेर के तारासिंह के भाई थे जिन्होंने इन पहाड़ियों में कुछ प्रसिद्ध भी हैं जिनके ऊपर तारागढ़ का किला बनवाया था। अजयपाल एक दुर्ग बने हैं । इनमें अजयगढ़, बजरंगगढ़, देवपहाड़ बड़े जादूगर थे। एक बार ख्वाजा माताउद्दीन और मुर्जा मुख्य हैं । केन और वैर्मा दो अजमेर आए. और अजयपाल से उनका जादूगरी मुख्य नदियाँ हैं। इनके सिवा और भी बहुत से में मुक़ाबिला हुआ। इसमें मुसलमान जादूगर की नदी नाले हैं। हार हुई। इस पर तारासिंह ख्वाजा को लज्जित • करने पर अपने भाई से अप्रसन्न होगया । इस लिये गर्मियों में अधिक गर्म और जाड़े में अधिक अजयपाल किले में जाकर ऋषियों की भांति वास ठंड रहती है। वर्षा साल में लगभग ५० इंच करने लगे। उन्हीं साधु के नाम पर इसका अजयगढ़ होती है। नाम पड़ा। जनसंख्या- सीमा- कुल राज्य में ४८८ गाँव हैं जिनमें अजय इस राज के उत्तर में बांदा जिला, दक्षिण में गढ़ सबसे बड़ा है जिसकी जनसंख्या लगभग दमोह और जबलपुर के जिले, पूर्व में पन्ना व रीवा ५ हजार है। राज्य और पश्चिम में चरखारी और छतरपुर राज्य हैं । इस राज्य के दोनों भागों के बीच पन्ना राज्य का मुख्य व्यवसाय बेती है। लगभग ४०७ वर्ग एक भाग है। मील में खेती होती है। इसमें से केवल ६,४०० एकड़ जलवायु तथा वर्षा- . व्यवसाय- १४