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पृष्ठ:भूगोल.djvu/३३

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- ३२ भूगोल [ वर्ष १६ किया । मैसूर के दक्षिणी भाग मे गंग या कोन्गू राज्य हो गया। १७०४ में चिक्क देव राजा की मृत्यु हो गई। था। पहले इनकी राजधानी कारुर फिर तलकद रही १७३४ ई० में चिक्क कृष्ण राजगद्दी पर बैठे। इसी जहाँ से चोला राजों ने नवीं शताब्दी में इन्हें निकाल राजा के समय में हैदरअली का उत्थान हुआ और उसने बाहर किया । मैसूर के पूर्वी भाग में पल्लव वंश का मैसूर की गद्दी छीन ली और स्वयं राजा बन गया। राज्य था जिनको चालोकिया बंश ने मार भगाया। किन्तु जितनी जल्दी इसकी उन्नति हुई उतनी ही चोल और चालुक्य राज्य के पश्चात् कलचूर्य लोगों जल्दी इस वंश को अवनति भी हुई। जो राज्य हैदर का राज्य हुआ फिर हुवसाल बलाल राजे हुये । ये अली के समय में प्राप्त किया गया वह उसके पुत्र लोग जैन मत के मानने वाले थे। इनकी राजधानी (टीपू सुल्तान ) के समय में छिन गया । १७९९ ई. द्वारसमुद्र थी और इनका राज्य १३१० तक रहा । में श्रीरंगापट्टम में टीपू सुल्तान की हार हुई और वह १३१० में मलिक काफूर जो अलाउद्दीन का सेनापति लड़ते लड़ते मारा गया । ब्रिटिश लोगों ने पुराने राज था उसने बलाल राजा को कैद कर लिया और राज घराने के कृष्णराज नामी बालक को गद्दी पर बैठाया। धानी पर भी अधिकार जमाया । १६ साल बाद फिर पुर्निया नामक मरहठा ब्राह्मण ने राजा के बाल्या- मुहम्मद तुग़लक ने आक्रमण किया और राजधानी को वस्था में राज्य का प्रबन्ध किया। १८३१ ई० में अंग्रेजों बर्बाद किया । हौसल राजों के बनाये हुये जैन मन्दिरों ने फिर अपने हाथ में राज्य की बागडोर ले लो । किन्तु की कारीगरी की गणना भारत की अद्भत वस्तुओं १८८६ ई० में चाम राजेन्द्र ओडेयर, चिक्क कृष्ण में होती है। अ' का तीसरा पुत्र गद्दी पर बैठाया गया । हौसल वल्लाल राजों के पश्चात् तुङ्गभद्रा नदी किन्तु जब महाराज चाम राजेन्द्र बालिग हुये तो पर विज्यानगर हिन्दू राज्य की नीव हक्क और उन्होंने अपने राजकीय अधिकारों को मांगा उनकी वुक्क वारंगल दर्वार के अफसरों ने डाली। यह गज्य मांग पूरी की गई और राज्य प्रबन्ध उनके हाथों सौंप १३३६ ई० में स्थापित हुआ। हक्क ने अपनी हरीहर दिया गया। चीफ कमिश्नर और जनरल सेक्रेट्री की उपाधि ग्रहण की और अपने वंश का नाम नर की जगहें हटा दी गई। चीफ कमिश्नर अपना सिंह रक्खा । इस वंश और बहमनी राज्यके बीच सारा काम दीवान को सौंप कर अलग हो गया। बड़े २ युद्ध हुये । १५६५ ई० में तिलीकोट स्थान पर उसके बाद राज्य प्रबन्ध में बहुत से उलटफेर हुये । एक बड़ा युद्ध हुआ जिसमें राम राजा नरसिंह की राजा की सहायता के लिये नामजद राज्य के लोगों की हार हुई। और विज्यानगर राज्य छिन्न भिन्न हो गया एक काउँसिल है । जो मुख्य मुख्य विषयों में राजा को १६१० ई में मैसूर के राजा ओडेअर ने तीरूमल से सलाह देती है जो इस समय नरसिंह वंश का वाइसराय था । श्रीरं. सन् १८९५ ई० में कृष्ण राजा श्रोडियर गद्दी पर बैठे। गापट्टम छीन लिया और वर्तमान मैसूर राज्य की लड़कपन होने के कारण महारानी बनी विलास राज नींव डाली । राजोडेअर यादौ क्षत्रिय थे और इनके काज देखती थीं। १९०२ ई० में महाराना के हाथ में पूर्वज सोराष्ट्र से यहां आकर बसे थे। १६१० के बहुत स्वयं गवर्नर जनरल ने आकर राज्य सौंप दिया। पहले ही मैसूर के किले की नींव पड़ी थी। महिषासुर १९२७ ई० में एक सन्धि हुई जिसके अनुसार १०३ नामक दैत्य को काली देवी ने मारा था। यही देवी लाख भेंट की सालाना माफी भारत सरकार ने मैसूर मैसूर राज्य की पूज्य देवी है। सरकार को दिया। राज प्रोडे अर के बाद चमराज और कंघी गज राजा प्रत्येक वर्ष दशहरा के अवसर पर हर एक राजे।हुए। जिन्होंने राज्य को उन्नति दी। इनके तालुका से दो तीन खास २ व्यक्तियों की एक सभा समय के पगोडा सिक्के प्रसिद्ध हैं। चिक्क देव राज बुलाता है । जिसके सामने गत वर्ष की रिपोर्ट दीवान ने ३४ वर्ष तक राज्य किया। यह राजा कट्टर वैष्णव पढ़ता है और आने वाले साल के कार्यो का व्योग था इसलिये राज्य का भी धर्म उस काल में वैष्णव ही बतलाता है। इस समय सभा के प्रत्येक सदस्य स