पृष्ठ:भूगोल.djvu/५२

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अङ्क १-४] गजपूताना ११ किशनगढ़ यह राज्य राजपूताना के प्रायः मध्य स्थित है। दक्षिणी भाग कुछ चपटा और उपजाऊ है । यहां के यह दो पतली धारियों में बटा हुआ है । इस का राजा राठौर राजपूत हैं। कहते हैं महाराज किशन क्षेत्रफल ८५८ वर्गमील है। इसकी जनसंख्या ८० सिंह ने १६११ ई० में किशनगढ़ नगर को बसाया हजार है। इसका उत्तरी भाग प्रायः रेतीला है। था। इस राज्य की आय लगभग ८ लाख है।

टोंक टोंक का कुछ भाग राजपूताना और कुछ भाग १८०१ में ५०,००० सेना लेकर नागपर के राजा के मध्यभारत में स्थित है। इस राज्य में ६ परगना हैं मुकाबले को बढ़ा। रास्ते में उसे २५,००० पिंडारी सेना जो एक दूसरे से अलग हैं । यहां के नवाब बोनेरवाल मिल गई । किन्तु ब्रिटिश मरकर की चेतावनी के अफगानों के मालारज़ई खानदान के हैं। इस राज्य कारण वापस आया और रास्ते में राजपूताने को के संस्थापक पहले (१७५८-१८०६) होलकर महाराज लूटता प्राय।। की फौज में एक सैनिक थे। होल्कर महाराज ने उनको १८१७ में मारकुईस श्राफ स्टिन ने राजपूताना संवाओं के बदले उन्हें कुछ ज़मीन दे दी । इसी मे टोंक राज्य बना । टोंक राज्य का क्षेत्रफल २,६४० वर्ग पिंडारियों का खात्मा करना चाहा। इसलिये अमोर व मी० पी० में शांति स्थापित करना चाहा और मोल,जनसंख्या ३.१८,००० और श्रामदनी २४,२५,००० रुपया है। खों से कहा कि जो जगहें होलकर ने तुम्हे दी हैं उनको लेलो किन्तु अपनी सेना कम कर दो। तुम oयह राजपूताना में एक राज्य है । इम राज्य में मुकाबले की ताकत न देख अमोर खाँ झुका। ४० ६ भाग टोंक, अलीगढ़-रामपुरा, निमभेरा, पिरवा, बन्दूक छोड़कर बाकी सारा सामान उमका खरीद चापरा और सिररोज सम्मिलित है। लिया गया। अमीरखां के सैनिकों को ब्रिटिश सेना मोहम्मदशाह गाजी के समय में तालखां ने अपने देश बोनर को छोड़ा और रोहेलखंड में अली में जगह दी गई । रामपुग का किला और अलीगढ़ : रामपरा का प्रान्त अमीर को अंग्रेजों ने इनाम के मोहम्मद रोहेला सर्दार के यहां आकर नौकरी कर तौर पर दिया। ली । उसके पत्र हयातखाँ को मुरादाबाद में कुछ जमीन मिल गई । १७६८ में उसके एक पुत्र हुश्रा १८१४ में अगौरवां मर गया और उसका पुत्र इसी पत्र अमोर खाँ ने टोंक की नींव डाली। पहले वजीर मोहम्मद खां नवाब वना । १८६४ में उप्तका पत्र यह एक छोटी सी सेना का सरदार था । किन्तु १७९८ मोहम्मद अली खां नवाब वना। किन्तु धोके बाजी में यह होलकर के यहां नौकर होगया और इस प्रकार के कारण निकाल दिया गया और उसका पुत्र मोहम्मद एक बड़ी स्वतंत्र सेना का सरदार बन गया । होलकर इब्राहीम अली खां नवाब बनाया गया। नवाब को के यहां नौकर होने के कारण अमीर खां को सिंधिया, लड़का न रहने पर मोहमड़न पद्धति के अनुसार गर्दा पेशवा और ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ाइयां देने का अधिकार सनद द्वारा दिया गया है । नवाब लड़नी पड़ीं। राजपूताने को भी इसने खूब लूटा । भारत सरकार को किमी प्रकार का कर नहीं देता। पहले इसको सिरोज मिला फिर १८०६ में होलकर नवाब को १७ बन्दूकों की मलामी का हुक्म है । राज्य ने टोंक का राज्य दिया । उसी साल अमोरखां और क. आय १८.३ ,००० रु० है। नवाब के पास ५२६ राजा जैपु र से लड़ाई हुई । फिर जोधपुर के राजा से सवार २८८ पैदल १७१ बन्दूकची रणक्षेत्र को तोपों युद्ध हुआ । इस प्रकार दोनों राज्यों को बरबाद कर और ४५ दूसरी तोपों के रखने का अधिकार है। - c