पृष्ठ:भूगोल.djvu/५३

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भूगोल [वर्ष १६ राज्य की सालाना २४२४८३९ २० है। वर्तमान हफीज़ सर मोहम्मद सादत अली खां बहादुर, नरेश हिज हाईनेस सय्यदद्दौला वज़ीरुलमुल्क नवाब सौलतजंग जी० सी० आई० ई० हैं। शाहपुरा राज्य शाहपुरा के महाराज उदयपुर राज्य में स्थित ८० शाहपुरा का राज्य बना । इस राज्य का क्षेत्रफल ४२५ गांव के जागीरदार हैं । यह राज्य सन् १६२९ ई० में वर्गमोल है, जनसख्या ५७,००० है। इसकी आमदनी स्थापित हुआ। मुगल सम्राट शाहजहां ने कुछ ४ लाख रुपया है। यह राज्य १०००० रु० ब्रिटिश परगने उदयपुर के महाराना अमरसिंह के दूसरे लड़के सरकार को और ३००० रु. उदयपुर राज्य को कर सूरजमल के लड़के को दे दिये । फिर कुछ परगने देता है। यहां के राजा को ९ तापों की सलामी उदयपुर राज्य की ओर से मिल गये। इस प्रकार मिलती है ।

जैसलमेर जैसलमेर राजपूताना में एक देशी राज्य है। जैसलमेर की जलवायु शुष्क और स्वास्थ्यदायक इस राज्य की अधिक से अधिक लम्बाई १७२ मील है। मई और जून में लू (गर्म हवा ) का प्रकोप होता और चौड़ाई १३६ मोल है । यहां का क्षेत्रफल १६०६२ है और बहुत अधिक गरमो पड़ती है। वर्षा होते हो वर्ग मील है। जनसंख्या ७६२७६ है। जैसलमेर के गर्मी शान्त हो जाती है । सब से ज्यादा सर्दी आधे उत्तर में भावलपुर पूर्व में बीकानेर तथा जोधपुर, दिसम्बर से फरवरी तक पड़ती है। जून और जुलाई दक्षिण में जोधपुर और सिन्ध और पश्चिम में खैरपुर और अगस्त में वर्षा होतो है । वर्षा होने पर बालू की और सिन्ध हैं। पहाड़ियां ऊँटों के हलों से जोती जाती हैं और बाजरा, जैसलमेर राजपूताने के बड़े रेगिस्तान का एक ज्वार, मोथी, तिल इत्यादि बोए जाते हैं । कहीं कहीं भाग है । जैसलमेर शहर के चारों ओर पथरीली गेहूँ, जौ और चना भी थोड़ा थोड़ा पैदा होता है। जमीन है । बाकी तमाम राज्य में रेगिस्तान है। यहाँ लगान अनाज के रूप में लिया जाता है । गेहूँ, जौ का बालू की बड़ी बड़ी पहाड़ियां हैं जो १५० फुट तक पांचवां या छठाँ भाग और ज्वार बाजरे का सातवें ऊँची हैं। इन बालू की पहाड़ियों पर पश्चिमी भाग में से ग्यारहवें भाग तक लिया जाता है। कुछ झाड़ियाँ हैं और पूर्वी भाग में लम्बी लम्बी घास जैसलमेर में ऊन, घी, ऊँट, जानवर, भेड़ आदि है। गांव बहुत दूर दूर पर बसे हैं। नाह, बोकमपुर, का व्यवसाय होता है। बिरसिलपुर श्रादि गांवों में बालू की पहाड़ियों के जैसलमेर के अधिकांश निवासी यादव वंशी मध्य में यदि ऋतु अच्छी हुई तो ज्यार और बाजरा राजपूत हैं । यह जाति इण्डोसिथियन की शाखा है। बोया जाता है। राज्य में पानी का बड़ा भारी कष्ट भट्टी लोग पहले पहल पजाब में आकर ठहरे । है। २५० फुट के ऊपर पानी नहीं निकलता । कुओं लेकिन जब यवनों ने इन्हें भगाया तो राजपूताना में की गहराई कहीं कहीं ४९० फुट है। जहां तक होता आकर बसे । देवरावल की नींव देवराज ने डाली। है वर्षा का पानी पीने के काम आता है। कोई बड़ी यही वर्तमान शासक के पितामह माने जाते हैं। नदी नहीं है जिसका पानी लोग प्रयाग कर सकें। ११५६ में देवराज ने पहले पहल गवल की पदवी ग्रहण केवल एक काकनी नदी है जो मोज झील बनाती है। की। देवराज के बाद छठी पीढ़ी में जैसल हुए जिन्होंने