पृष्ठ:भूगोल.djvu/५५

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भूगोल [वर्ष १६ भरतपुर गज्य की अधिकतर जमीन नदियों की लाई हुई मफलता न मिली । लेकिन दोनों के बोच मित्रता की कॉप की मिट्टी से बनी है । इसे बान गंगा और दूसरी सन्धि हो गई जो अब तक चली आती है। गदर के नदियों ने बनाया है। इस राज्य का क्षेत्रफल १६७० ममय में फिर भरतपुर के राजा ने अंग्रेजों को वर्गमील और जनसंख्या ४.८०,००० है। यहां के राजा सहायता को। बड़ी लड़ाई में भरतपुर की मेना ने जाट हैं । इस राज्य की स्थापना ग्यारहवीं सदी में पूर्वी अफ्रोका और दूसरे युद्धस्थलों में ब्रिटेन की हुई। राजपूताना में यह पहला राज्य है जिम न मय महायता की । भरतपुर के महाराज सर किशन सिंह भरतपुर का किला । में पहले अंग्रेजों को महायता की । १८०२ ई० में यहीं जी राष्ट्रीय विचारों के थे। उन्हों ने अपने यहां के ५००० घुड़सवारों की महायता मे लार्ड लक का अखिल भारतीय हिन्दीमाहित्यमम्मेलन को निमन्त्रण लसवारी और आगरा की लड़ाइयों में विजय हुई थी। द कर बुलाया। सम्भवतः उनके विचार ब्रिटिश इस मराठों की शक्ति कम हो गई और अंग्रेजी सरकार को खटकने लगे । उनके साथ कड़ा व्यवहार राज्य की जड़ जम गई । इसके बदले में अंग्रेजों ने किया गया। १९२९ के मार्च महोन में उनकी अकाल पांच जिले भरतपुर को दे दिये । लेकिन १८०४ ई० में मृत्यु हुई। इस ममय उनके सुपुत्र सवाई वृजेन्द्रसिंह भरतपुर के राजा ने होलकर की सहायता की । १८.५ जी भरतपुर के महाराज हैं । इम राज्य की आमदनी ई० में अंग्रेजों ने भरनपर का घेग डाला। इसमें उन्हें ३५ लाख रुपया है । XXXX धौलपुर धौलपुर के महाराजा बमरौलिया जाट हैं। इनके पानीपत की लड़ाई में जब मराहठों की हार हुई तो पूर्वज ग्वालियर के पास आ कर बस गये । यहां इन्होंने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया। आगे उन्होंने मुगलों की लड़ाई में गजपूतों का साथ दिया । चलकर यह उनसे छिन गया। १७७९ ई० में यहां के