पृष्ठ:भूगोल.djvu/८४

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अङ्क १-४] ओरछा या टीकमगढ़ राज्य मेदिनीमल, अर्जुनदेव मलखानसिंह आदि राजों ने वीरसिंह देव (१६०५-२५)- राज्य किया। ओरछा के राजाओं में वीरसिंह देव सबसे ज्यादा मलखान सिंह आस्त्रिरी राजा था जिसने गढ़- प्रसिद्ध है । वह बड़ा बहादुर और सूरमा था। स्वयं कुण्डार में अपनी राजधानी रक्खी। इसके ६ पुत्र जहाँगीर ने लिखा है "वह बहादुर, दयावान और थे । ज्येष्ठ पुत्र का नाम रुद्रप्रताप था । मलखान के स्वच्छ दिल का मनुष्य है।" राज्य का विस्तार इसके बाद यही राजा हुआ। समय में अच्छा हुआ । १,२५,००० गाँव इसके राज्य रुद्रप्रताप ( १५०१-३१)- में थे और राज्य ८१ परगनों में बँटा था। जहाँगीर रुद्रप्रताप ने ओरछा की नींव डाली । इसी के महल, चतुर्भुज मन्दिर, फूलबारा, ओरछा और समय से ओरछा राज्य का प्रारम्भ होता है । बाबर के दतिया के महल आदि इसने बनवाये। इसके तीन हमले से रुद्रप्रताप ने काफी लाभ उठाया। यद्यपि उसको रानियाँ थीं । पहली से पाँच, दूसरी से चार पुत्र और सिकन्दर और बहलोल लोदी से लड़ना पड़ा, तो एक पुत्री, तीसरी से तीन लड़के थे । राज्य सभी पुत्रों भी उसने अपना राज्य काफ़ी विस्तृत कर लिया। एक में बाँटा गया । दूसरी रानी का पुत्र भगवान राव को दिन १५३० ई० में रुद्रप्रताप शिकार खेलने गया। दतिया मिला, जो बाद में एक राज्य बना और अब ओरछा नगर जहां स्थित है उसे देख कर रुद्र का तक उसी के वंशज राजा हैं। १६२७ में वीरसिंह ध्यान उधर आकर्षित हुआ । वैशाख सुदी तेरस मर गया और उसका ज्येष्ठ पुत्र जुझार सिंह राजा संवत् १५८८ ( मई सन् १५३१ ई० ) को इसकी नींव हुआ। डाली गई और राजमहल बनने लगा। किन्तु इसी जुझार सिंह- बीच राजा एक गाय को शेर से छुड़ाता हुआ घायल यद्यपि जुझार सिंह और उसके पुत्र सदैव शाहजहां हुआ । यद्यपि गाय को उसने छुड़ा लिया और शेर को मार डाला तो भी चोट गहरी होने के कारण के कहने के अनुसार काम करते रहे और उन्हें बड़ी- उसकी मृत्यु हो गई। बड़ी पदवियाँ भी मिलीं तो भी ज़रा सी बात में भारतीचन्द्र (१५३१-५४)- बादशाह नाराज हो गया और इनके पीछे पड़ गया। रुद्र प्रताप के दो रानियाँ थीं। दूसरी से : लड़के जुझार सिंह और उसके पुत्र मारे गए । जुझार सिंह पैदा हुये । भारती चन्द्र जो सबसे बड़ा था, राज्य की स्त्री रानी पार्वती, उसके पुत्र और पौत्र की का मालिक हुआ। इस के समय में भारत वर्ष में स्त्रियाँ बादशाह के सामने लाई गई। जिनमें से काफी गड़बड़ी हुई। बाबर के आक्रमण के जुझार की दोनों बहुओं को मुसलमान बनना पड़ा बाद हुमायूँ राजा हुआ। फिर शेरशाह ने हुमायूँ को मार और उनका नाम इस्लाम कुली और अली कुली रक्खा भगाया और उसने कालिंजर पर इसी राज्य में, गया। छोटा पुत्र मुसलमान बनाया गया और इस्लाम होकर घेरा डाला । १५३६ ई० में ओरछा के महल कुली और अली कुली के साथ पढ़ने को भेजा गया । तयार हो गए और राजदरबार गढ़कुण्डार से हटा कर उदयभान और शाम के मुसलमान बनने से इन्कार ओरछा में लाया गया। १५५४ ई० में भारतीचन्द्र करने पर उन्हें प्राण दण्ड दिया गया। इसके बाद चार साल तक सिंहासन खाली रहा । १६४१ ई० में की मृत्यु हो गई। मधूलकर शाह और रामशाह के बाद वीरसिंह पहाड़सिंह को शाहजहाँ ने बुला कर राजा बनाया। देव राजा हुआ। मधूलकर के आठ पुत्र थे। पहले पहाडसिंह (१६४१-५३)- रामशाह गद्दी पर बैठा, किन्तु जब वीरसिंह ने बादशाह ने पहाड़सिंह को ५,००० पैदल और जहाँगीर के कहने पर अबुलफजल को कत्ल कर २,००० घोड़ो का मंसबदार बनाया। पहाड़सिंह ने डाला तो उसकी ताकत बढ़ गई । अन्त में अकबर शाहजहाँ की बड़ी मदद की और वह काबुल, कंधार, की मृत्यु के बाद जब जहाँगीर राजा हुआ तो उसने आदि स्थानों में लड़ाई पर बादशाह की ओर से ओरछा का राज्य वीरसिंह को दे दिया। भेजा गया। ,