पृष्ठ:भूगोल.djvu/९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सन् अङ्क १-४] दतिया राज्य ८६ और उसके साथियों को दबाया। और एक अंग्रेज अफसर गोविन्दसिंह (१९०७)- को राज्य-कार्य के लिए दतिया में नियुक्त किया । महाराज भवानीसिंह ४ अगस्त १६०७ को सन १८६२ ई० में राजा को गोद लेने की सनद परलोक सिधारे और उनके इकलौते पुत्र गोविन्दसिंह गद्दी मिलो । नमक के बारे में इकरारनामा हुआ और १०,००० रु० सालाना अँग्रेज सरकार ने देना मंजूर किया। बेतवा नहर बहुत से महलों के सिवा इटावा में सूर्य का के लिये भूमि जून १८८२ ई० में दी गई। रेलवे के लिये भूमि मन्दिर है। यह सूर्य नामक एक बड़ा घूमता पत्थर है १८८८ ई. में मिली । एक हाई स्कूल खोला गया । १८६५ और उसके चारों और नवग्रह हैं। रङ्गपञ्चमी (मार्च ) ई. में राज-काज राजा के हाथ सौंप दिया गया । में दूर दूर के यात्री यहाँ दर्शन को आते हैं। और मन्दिर पर दतिया और समपर। राज्य संपन.. E-निया thyer Pop00मिद TEGRAमोटी + पूरानन्य मधर मो पचमड़ना --कारी दिरानी मावली समा म "शनानलना माज भिमत झांसी गाडी १८६६ में राजा श्रागरे के दरबार में लार्ड लॉरेन्स के से मिले हुए सरोवर में स्नान करते हैं। कहते हैं कि इसमें समय में गए । १८७७ में राजा इम्पीरियल असेम्युलेज में नहाने से कोढ़ आदि रोग अच्छे हो जाते हैं दिल्ली गए जहाँ लोकेन्द्र की पदवी, एक झण्डा और सुनहरा महाराज की पदवी हिज हाईनेस महाराजा लोकेन्द्र के. तमगा मिला । १८८० में रामलीला दरबार में प्रारम्भ सी. एस. आई. है। हुआ । १८६७ में राजा को के. सी. एस. आई, और शासन- दीवान को रावबहादुर की पदवी मिली । सन् १९०२ में राजा राज्य के अन्दर सभी कार्यों में प्रधान अधिकार गोविन्दसिंह ने चन्द्रकुवर से व्याह किया। इसी साल लाई महाराज का ही होता है। सभी प्रकार की अन्तिम कर्जन राजदरबार में आये। निर्णय पाली अपीलें इजलास-खास में होती हैं। १२