पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१४४

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w दूसरा भाग रहता है और यहा से उस घाटी का हाल बखूबी जाना जा सकता है, उसी सुबीते को देख कर मैने तुम लोगो को या छोडा था, सो सुबीता तुमने अपने से, विगाड दिया । यद्यपि भूतनाथ के कई संगी साथी इससे परेशान होकर मर जायेंगे मगर इससे भूतनाथ का कुछ नही बिगडेगा । वह इस स्थान को छोड कर दूसरी जगह चला जायगा, फिर तुम्हें उसके काम काज की कुछ भी खबर नहीं मिलाफरेगी । तुम ही सोचो कि यदि वह तुम्हारे किसी दोस्त या साथी को गिरफ्तार करता तो जरूर इसी घाटी में ले पाता और तुम्हें उसफी खवर लग जातो, तब तुम उसको छुडाने का उद्योग करती, मगर अव क्या होगा? अव तो अगर वह तुम्हारे किसी साथी को पकडेगा भी तो दूसरी जगह ले जायगा और ऐसी अवस्था में तुम्हें कुछ भी पता न लगेगा। बिमला० । (सिर झुका कर ) बेशक यह बात तो है । फला० । नि.सन्देह भूल हो गई। इन्दु०। गहरी भूल हो गई ! आखिर हम लोग औरत को जात इतनी समझ कहा मय इस भूल का सुधार क्योकर हो ? इन्द्र० । अब इसका सुधार होना जरा कठिन है, भूतनाथ जरूर चौकामा हो गया होगा और अब वह अपने लिए कोई दूसरा स्थान मुकर्रर करेगा। (कुछ विचार कर) मगर पर एक दफे में इसके लिए उद्योग जरूर करूंगा, कदाचित् काम निकल जाय । फला० 1 या उद्योग कीजिएगा? इन्द्रासो अभी से कैसे कहूं? वहा जाने पर और मौका देखने पर मो कुछ बन जाय । यदि भूतनाथ इस घाटी में बना रहेगा तो बहुत काम निकलेगा। विमला तो पया पाप मकेले भूतनाथ को तरफ या उस घाटी में जायगे? इन्द्रदेव० । हो जा सकता हूं क्योकि वे लोग मेरा कुछ भी नहीं दिगाह मक्ते और न मुझे भूतनाथ को कुछ परवाह हो है, मगर मेरा इरादा है कि इस काम के लिए श्लोपसाह यो भी अपने साथ लेता जा। इतना कह कर इन्द्रदेव उठ पडे हुए भोर उस कमरे में चले गये जो यहाँ नहाने धोने के लिए मुकर्रर था।