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पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१८२

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०७१ दुसरा भाग ... और अपनी पाखो से देखा था..... भोला० 01 (बात काट कर ) वेशक वेशक आपने देखा होगा मगर बड़े पाश्चर्य की बात है कि इतनी हिफाजत के साथ रहने पर भी प्रश- 'फिया गायब हो गई । मैं कह तो नहीं सकता गगर हमारे साथियो में से किसी न किसी की नीयत... भूत० । जरूर सराव हो गई, मैने अपनी जुवान से इस खजाने का हाल अपने किसी साथो से भी नहीं कहा तिस पर यह हाल भोला । सम्भव है कि मापके पीछे पीछे भाकर किसी ने देख लिया हो और यह भेद मालूम कर लिया हो । भूत० । अगर ऐसा नहीं हुआ तो हुना क्या ? इसका पता लगाना चाहिये और जानना चाहिये कि हमारे साथियों में किस किस का दिल बेई- मान हो गया है, क्योकि इसमे तो कोई शक नहीं कि हमारे साथियो हो में से किसी ने यः चोरी की है। भोला० । मेरा खयाल तो यह है कि कई प्रादमियो ने मिल कर चोरी की है। मृतः । हो सकता है, भला तुम ही यहो कि एच मै फर अपने साथियो का विश्वास कर सकता हूँ। मोना० । नमी नी, मेरा विश्वास प्रब इन सगो के ऊपर से उठ गया। हाय हाय, "तना या गजाना प्रौर ऐसी नमकहानी । भूत० । देगो तो नही में कंपा इन लोगो यो घमाता है । भोला० । प्रार जल्दो न कीजिये, एक दो रोज गोर देख लीजिए। भूत० । कही ऐसा न हो कि एक दो दिन ठहरने से यह भी जो बचा है। जाता रहै। इतना ह दर मृतनाय फोटरी के बाहर निकल पाया और दवांजा बन्द कर पेनोताव साता हुप्रा सुरग के बाहर हो उस तरफ रवाना हुधा जर उसकारा था।