सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भूतनाथ के लिए बाहर गये थे, फिर उन्हें फायल करने और चोर सिद्ध करने के लिए क्या तर्कीब हो सकती है? भोला० । ठीक ही तो है, फिर पाप जानिये जो मुनासिब समझियेगा कीजियेगा, मगर पहिले जाकर देखिए तो सहो कि कौन कौन गायब है और उस खजाने को भी एक नजर देख लीजिएगा कि वनिस्वत कल के कुछ और भी कम हुआ है या नही । जरूर कम हुमा होगा क्योकि मैंने अपनी आखो से उन लोगो की कारवाई देखी है। "खैर मैं जाता हू" इतना कह कर भूतनाथ घाटी के अन्दर चला गया। सबके पहिले उसने खजाने को देखना मुनासिब समझा और पहिले उसी तरफ गया जिघर खजाने वाली गुफा थी। गुफा के अन्दर घुस कर और खजाने वाली कोठरी का दर्वाजा खोल कर जब भूतनाथ अन्दर गया और रोशनी करके गौर से उन हण्डो को देखा तो मालूम हुआ कि और भी कई हण्डे खाली हो गये हैं। भोलासिंह को लेकर जिस समय वह इस कोठरी में पाया था उस समय जिन हण्डों या देगो में भोलासिंह ने प्रशफिया देखी थी और भूतनाथ ने भी देखी थी उनमें से चार हण्डे इस समय विल्कुत खाली दिखाई दे रहे थे । भूतनाथ ने मन में सोचा कि 'भोलासिंह का कहना बहुत ठोक हैं, जरूर हमारे प्रादमियों ने रात को चोरी की है, खैर अब मैं इन हरामखोरों से जरूर समझू गा । मगर माम ना वहा कठिन आ पडा है, अगर इन शैतानों को यहा से निकाल दू तब भी काम नहीं चल सकता है क्योकि यहा का रास्ता इन लोगो का देखा हुआ है । अब तो कुछ डरते भी हैं, फिर दुश्मनी को नीयत से यहा छिप कर पाया करेंगे, और यदि में खुद इस घाटी को छोड़ दू पौर बचा हुमा खजाना लेकर दूसरी जगह जा रहू तो बावाजी से मुलाकात क्योकर होगी जिन्होंने यह खजाना दिया है और पुन पाकर वैहिसाब दौलत देने तथा तिलिस्म का दारोगा बनाने को प्रतिज्ञा कर गये हैं ? वडी मुश्किल है । फिर इन समों को निकाल देने से भो में निश्चिन्त नही हो सकता क्योंकि ये सब