पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१८७

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'भूतनाथ So हमलोगों से कहा कि वहां खजाना रख पाये हैं। भूत । उस गुफा के भीतर एक दर्वाजा है और उसके अन्दर जो कोठरी है उसी में खजाना था। उस दिन जो साधू महाशय पाये थे उन्हीं का यह खजाना था मोर वे ही मुझे दे गये थे तथा वे उस कोठरी को खोलने मार बन्द करने को तर्कीव भी वता गये थे, मगर अब जो हम देखते हैं तो वह खजाना प्राधा भी नही रह गया ! तीसरा० । अब ये सब बातें तो आप जानिए, हमें तो कभी आपने इसकी इत्तिला नहीं दी थी इसलिए हमलोगों का उस तरफ कुछ ख्याल भी नहीं था भोर खयाल हो अथवा न हो, यहाँ से चोरी जाने की बात कोन मान सकता है! भूत० । तो क्या हम झूठ कहते हैं ? चोथा० । यह तो हमलोग नहीं कह सकते मगर इसके जिम्मेदार भी हमलोग नही है। भूत। फिर फोन इसका जिम्मेदार है ? चौपा० । माप जिम्मेदार है या फिर जो चुरा ले गया है वह जिम्मेदार है ! आप तो हम लोगों से इस तरह पूछते हैं जैसे कोई लौंडी या गुलाम से मांख दिखा कर पूछता है । हम लोग आपके पास शागिर्दी का काम करते हैं, ऐपारी सीखते हैं, आपके लिए दिन रात दौडते परेशान होते हैं, और हरदम हथेली पर जान लिए रहते है,मरने की भी परवाह नहीं करते, तिस पर प्राप हम लोगों को चोर समझते हैं और ऐसा बर्ताव करते हैं ! यह हम लोगों के लिए एक नई बात है, माज के पहिले कभी आप ऐसे वेरुख नही हुए थे। भूत० । हा, वेशक अाज के पहिले हम तुम लोगो को ईमानदार सम- मते घे, यह तो प्राज मालूम हुमा कि तुम लोगऐयार नहीं बल्कि पोरदगा- पाज पोर वेईमान हो। पांचा० । देखिये जुबान सम्हालिए, हम लोगो को ऐसी बातें सुनने को आदत नहीं है ! भूत० । मगर भादत नहीं होती तो ऐसा काम भी नही करते !