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पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१९४

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६७ दूसरा भाग भूत० के बाद मैं चंगा हो गया और उन सभों के साथ मिल जुल कर काम करने लगा घयोंकि इस बीच में मतलव की सभी बातें मुझे मालूम हो चुकी थी। भूत । नि सन्देह तुमने वडी हिम्मत का काम किया, अच्छा तो कौन कौन बातें वहा तुम्हे मालूम हुई ? रामदास० । पहिलो वात तो यह मालूम हुई कि वेचारा भोलासिंह उन दोनों के हाथ से मारा गया । सुद कला और विमला ने उसे मारा पा, यद्यपि यह नहीं मालूम हुआ कि कव किस ठिकाने और फिस तरह से उसे मारा मगर इसे कई सप्ताह हो गये। भूत० । ( पाश्चर्य से ) क्या वह मारा गया ? रामदास । हा नि सन्देह मारा गया। 10 अभी तो फल परसों वह मेरे साथ था ! रामदास । वह कोई दूसरा होगा जिसने भोलासिंह वन कर पापको घोसा दिया। भूत० (कुछ सोच कर) वेशक यह कोई दूसरा ही था, अब जोसोचता है तो तुम्हारा कहना ठोक मालूम होता है ।हाय मुझसे यही भूल हो गई पोर मैने अपने को वर्वाद कर दिया ! मेरे साथी शागिर्द लोग वेचारे अपने दिल में क्या कहते होंगे ? वे लोग अगर मेरे साथ दुश्मनी करें तो इसमें उनका कोई सुरनही । राम० । यह यया बात हुई, भला कुछ में भी सुनू ! भूत० 1 तुमसे कुछ छिपा न रहेगा, मैं सब कुछ तुमसे बयान परंगा, पहले तुम अपना किस्सा कह जाम्रो । राम । नहीं नहीं पहिले मै आपका यह हाल सुन ल गा तब कुछ कहूगा। रामदास ने इस बात पर वहुत जिद्द किया, प्रातिर लाचार होकर भूतनाथ को अपना मव हाल क्यान करना ही पड़ा जिसे सुन कर रामदास को बड़ा ही दुःस हुप्रा । भूत । मच्छा और पया क्या तुम्हें मालूम हुमा ? राम० । भोर यह मालूम हुमा कि जिस साधू महाशय का ममीमभी .