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पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/२८७

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भूतनाथ को वहा बैठे भूतनाथ घण्टे भर से कुछ ज्या दे देर भई होगी कि उसका एक शागिर्द वहा आ पहुंचा जो इस समय एक देहाती जमीदार की सूरत वना हुया था। उसने भूतनाथ को जो इस समय अपनी असली सूरत में था देखते ही प्रणाम किया और बोला, "मैं श्यामदास हू, आपको खोजने के लिए काफी गया हुआ था।" भूत० । आपो हमारे पास बैठ जागो और वोलो कि वहा तुमने क्या पया देखा और किन किन बातो का पता लगाया। श्यामदास । वहा बहुत कुछ टोह लेने पर मुझे मालूम हुआ कि प्रभा- करसिंह सही सलामत लडाई पर से लौट आये और जब वे उस घाटी में गये तो जमना सरस्वती इन्दुमती को न पाकर बहुत ही परेशान हुए। इसके बाद वे इन्द्रदेव के पास गये और अपने दोस्त गुलावसिंह के साथ कई दिनो तक वहा मेहमान रहे। भूत० ० । ठीक है, यह खवर मुझे भी वहा लगी थी, मैं इन्द्रदेव को देखने के लिए वहा गया था क्योकि ग्राज कल वे बीमार पड़े हुए हैं। अच्छा तब क्या हुभा श्याम० । इसके बाद मैं जमानिया गया, वहा मालूम हुआ कि कुमार गोपालसिंह की शादी के बारे में तरह तरह की खिचडी पक रही है जिसका खुलासा हाल में फिर किसी समय आपसे वयान करूगा, इसके अतिरिक्त प्राज पन्द्रह दिन से भैयाराजा ( गोपालसिंह के चाचा) कही गायब हो गये है, वावाजी ( दारोगा )वगैरह उनको खोज में लगे हुए हैं, बहुत से जासूस भी चारो तरफ भेजे गये हैं, मगर अभी तक उनका पता नही लगा। भूतनाथ० । ऐसो अवस्या में कुपर गोपालसिंह तो बहुत हो परेशान और दु स्त्री हो रहे होगे। श्याम । हाना तो ऐसा ही चाहिए था मगर उनके चेहरे पर उदासी घोर तरदुद को कोई निशानी मालूम नही पडती और इस वात से लोगो को वडा ही ताज्जुब हो रहा है । आज तीन चार दिन हुए होंगे कि कुभर ?