पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/२८८

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तीसरा हिस्सा वह गोपालसिंह इन्द्रदेव से मिलने के लिए 'कैलाश' गये थे, दोपहर तक रह कर वह पुन जमानिया लौट गये । सुनते हैं कि इन्द्रदेव भी दो चार दिन में जमानिया जाने वाले है। भूतनाथ० । इन्द्रदेव के बारे में जो कुंछ सुना करो उसका निश्चय मत माना करो, वह बडे विचित्र प्रादमी हैं और यद्यपि मुझे विश्वास है कि मेरे साथ कभी कोई बुराई न करेंगे मंगर फिर भी मैं उनसे डरता हू। दूसरी बातो को जाने दो उनके चेहरे से इस बात का भी शक नही लगता कि प्राज वह खुश है या नाखुश । श्याम० । इन्द्रदेवजी चाहे प्रोपके दोस्त हो मगर मुझे इस बात का शक जहर है कि वे जमना और सरस्वती को मदद दे रहे है । भूत० । शक क्या मुझे तो इस बात का यकीन सा हो रहा है परन्तु हजार कोशिश करने पर भी इसका मुझे कोई पक्का सबूत नही मिला । अभी तक मै इस विषय का भेद जानने के लिए वरावर कोशिश कर रहा हूँ। श्यामः । ठीक है परन्तु मै तो इसो वात को एक बहुत बड़ा सबूत समझता हूं कि जमना और सरस्वती उस अद्भुत घाटी में रहती हैं जो एक छोटा सा तिलिस्म समझा जा सकता है । क्या इन्द्रदेव के अतिरिक्त किसी दूसरे प्रादमी ने उन्हें ऐसी मुन्दर घाटी दो होगी ? मुझे तो ऐसा विश्वास नहीं होता। भूतः । जो हो मगर फिर भी यह एक अनुमान है प्रमाण नही । सैर इस विपय पर इस समय वहस करने की कोई जम्मरत नही, मैं ग्राज मिनी दूसरे ही तरवुद मे पडा हुमा है जिसके सवव से मेरा तबीयत भी वैन हो रही है। श्यामः । वह यया भूत० । तुम जानते हो कि तुम्हारे भाई रामदास पी मदद ने पे जमना सरस्वती इन्दुमति तथा उनकी लौडियो को उसी घाटी में एक कुएं के अन्दर केल कर जहन्नुम में पहुंचा चुका है। 7