पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/२९७

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- भूतनाथ उन्ही को नही बल्कि मुझे भी वह राय हाल मागा गगा। रा समय तुम लोग उसो पाप का फल भोग रही हो, अगाय गोगुग नागो से ऐसी आशा कदापि न थी ! अगर मैं ऐसा जागता तो मग पापाटी गो तुम लोगों के पापमय शरीर से कभी शनि होना। प्रभाकर० । (ताज्जुब से गन ग) ६ ? गगा गा गाय की है सरस्वती० । मेरी समझ मे नही पता {h इंग गा पा रहे हो ! क्या किसी दुष्ट ने हम लोगो को बदनाम गागागा भागीने न हम लोगो पर कलक का धमा लगाना नासा नहो, रवप्न में भी ऐना नही हो सकता ? हम गोगा गामाडोल करने वाला इस ससार में कोई भी नारी .rm [दिल से कसम खा सकती है। जवाव० । दुनिया में जितने बदमार यादीगग गाने में बहुत तेज होते है ! मुझसे तुम लोगो की या Tग रागाती । जो कुछ मैं इस समय कह रहा ह 7 गगन Hir रोगगो गुगा बातो के कारण नहीं है बल्कि मुझे इस बात गा चहा हो गत गिल चुका है जिससे तुग कदापि इनकार नही कर रागाती। प्रभार० । ( गा ग ) श ग ग होती है जो हर- देई ने गुणगेनी थी। रार० सा गाभार नगालागी ? गमागे गी तो उगे शुन् । जबाब० ग तो जर गुजागा, पामीनही तो गौर पगटे भर में राही, प्रगाागिह सामने ही मै इग वात पो गोगा और ग गाहा- बत को चरितार्थ करके दिग्या दूगा कि 'छिपत न पुकार पाग, गोटि जतन कोजे तऊ।' सरस्वती० । कोई चिन्ता नही, में भी अच्छी तरह उस गामी का मुह याना पम्गी जिसने हम लोगो को वनाम किया है और अपने को अच्छी तरह निर्दोष सारित कर दियाऊँगी ।