पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/३११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भूवनाथ मय दिखाई पड़ती है। तो फिर क्या मैं ऐसा ही बदकिस्मत बनाया गया हूँ? क्या यह मेरे कर्मों ही का फल है । कदाचित् ऐसा भी हो तो फिर दुनिया में जितने भादमी हैं सभी तो अपने अपने कर्म का फल भोग रहे है। फिर मुझमे और अन्य अभागो में भेद ही किस बात का ठहरा ? और जब अपने ही कर्मों का फल भोगना ठहरा तो तुम्हारा भरोसा ही करके पण किया । अगर यह कहो कि इस भरोसे का फल किसी और समय मिलेगा तो यह भी कोई बात न ठहरी, जब मेरे समय पर तुम्हारा भरोसा काम न आया तो खेत सूखे पर वर्षा वाली कहावत सिद्ध हुई वावा । ( बात काट कर ) वेटा घबडाओ मत और परमेश्वर का भरोसा मत छोडो, वह तुम्हारे सभी दुखो को दूर करेगा । उसकी कृपा के मागे कोई बात कठिन नहीं है। वह यदि दयालु होगा तो तुम्हें तुम्हारे माता पिता से भी मिला देगा और तुम्हारी स्री इन्दुमति भी पुन तुम्हारी सेवा मे दिखाई दे जायगी । बस अव में जाता हूँ ईश्वर तुम्हारा भला करे। प्रभाकर० । (वावाजी को रोक कर ) कृपा कर और भी मेरी दो एक बातो का जवाब देते जाइये। वावा० । पूछो क्या पूछना चाहते हो ! प्रभाकर० । जिस मनुष्य के विषय में यह कहा जा सकता है कि वह पञ्चतत्व में मिल गया भला उससे पुन क्योकर मुलाकात हो सकती है ! वावा० । ईश्वर की माया बडी प्रवल है, जिसे भाज 'नहीं' समझते हैं वही कल 'हा' के रूप में दिखाई देता है, मैं यह नहीं कह सकता कि ऐसा अवश्य ही होगा परन्तु यह जरूर कहूगा कि ईश्वर पर भरोसा रखने वाले के लिए कोई भी वात असम्भव नही । अच्छा पूछो और क्या पूछते हो। प्रभाकर० । मैं यह जानना चाहता हूं कि आज के वाद यदि मैं आपसे मिलना चाहू तो क्योकर मिल सकता हूँ वावा० । तुम अपनी इच्छानुसार मुझसे नही मिल सकते। प्रभाकर० । आपका परिचय जान सकता हूँ? वावा० । नहीं।