पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/३१४

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७५ तीसरा हिस्सा वल्कि नकली हैं। देखने वाला जब तक उन्हें अच्छी तरह टटोल न लेगा तव तक उसके दिल मे असली हस होने का शक न मिटेगा। इसी तरह होज के अन्दर उतरने वाली सीटियो पर भीमोर और सारस इत्यादि कई जानवर दिखाई दे रहे थे और वे भी उन्ही हसो की तरह नकली किसी धातु के वने हुए थे, मगर देखने में ठीक असली जान पडते थे। इनके अतिरिक्त उसी होज के अन्दर संगमर्मर की सीढी पर एक नेहायत हसीन और खूब- सूरत औरत भी वेहोश पडी हुई दिखाई दे रही थी जिसके खुले हुए वाल सुफेर्दै पत्थर की चट्टान पर बिखरे हुए थे वल्कि वालो का कुछ हिस्सा जल की हलकी लहरो के कारण हिलता हुआ बहुत ही भला मालूम होता था। पहिले तो मेरे दिल में पाया कि मैं और जानवरो की तरह इस औरत को भी नकली और वनावटी समर मगर उसकी खूबसूरती और नजाकत को देख कर मै सहम गया । ग्रहा ! यया ही खूबसूरत चेहरा, वडी वटी मगर इस समय पलको से ढकी हुई श्रा, चौडी पेशानी में सिंदूर को केवल एक विन्दी कैसी अच्छी मालूम होती थी कि हजार रोकने पर भी मुंह से निकल ही पडा कि 'यह जत्र स्वर्ग को देवी है। चाहे उसके हाथो मे मिवाय दस वारह पतली स्याह चूडियो के और कुछ भी न हो, किसो अग मे किसी तरह का कोई भी गहना दिवाई देता न हो, परन्तु उराफी यूवमूरत किती गहने की मुहताज न थी। मै खडा यही सोच रहा था कि यह औरत अमली है या बनावटी और यह इरादा भी हो चुका था कि जिस तरह ऊपर वाले इस को टटोल कर देख चुका हू उनी तन्ह नीचे की सीढियो पर बैठे हुए जानवरो के मान ही साथ इस औरत को भी टटोल कर देवू और निश्चय कर कि अमली है या नाली कि इतने ही में उस औरत ने गर्दन हिलाई और अपना चेहरा जन्न की तरफ से गुमा कर सोडो को तरफ कर दिया । म फिर क्या था,मेरो सुशी का कोई ठिकाना न रहा, मुझे विश्वास हो गया कि पीर जाननगे की तरह यह पौरत बनावटी नहीं है । फिर में मोचने लगा कि उसे किसी तरह जगाना चाहिए प्रस्तु मैने जोर ने कई तालियां बजाई मगर इसका