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पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/३४२

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तीसरा हिस्सा १०७ ? शब्द निकाल रहे हैं और अपने को उन बातो से पूरा पूरा अनजान सावित किया चाहते हैं दारोगा । सो क्या ? मुझे इन बातो से क्या सम्बन्ध ? जमना० । अगर कुछ सम्बन्ध नहीं है तो हम लोगो को वहा से क्यो कैद कर लाये? दारोगा। केवल अपने दोस्त की मदद कर रहा हूँ। जमना० । और आप इस बात को नहीं जानते कि हमारा पति इसी दुष्ट के हाथो से मारा गया है ? और क्या आपको मण्डली में यह बात मशहूर नही है। दारोगा० । हाँ, दो चार आदमी ऐसा कहते हैं, परन्तु भूतनाथ का कथन है कि इसका कारण तुम ही हो, अर्थात् केवल तुम ही लोगो ने यह बात ब्यर्थ मशहूर कर रखी है । मुझे स्वयं इस विषय में कुछ भी नहीं मालूम है। जमना० 1 ( ताने के ढग पर ) बहुत सच्चे ! अगर यह वात श्रापको मालूम नहीं है तो भूतनाथ आपका दोस्त भी नही है। दारोगा 10 । भूतनाथ मेरा दोस्त जरूर है और वह मुझसे कोई बात छिपा नही रखता । खैर थोड़ी देर के लिए अगर यह भी मान लिया जाय कि तुम्हारा ही कहना ठीक है तो मैं तुमसे पूछता हू कि तुप भूतनाथ को बदनाम करके क्या फायदा उठा सकती हो ? भूतनाथ इस समय स्वतन्त्र है रिनी रियासत का तावेदार नही जो उस पर नालिश कर सकोगी, फिर ऐनी अवस्था में उससे दुश्मनी करके तुम अपना ही नुकसान कर रही हो, इसके अतिरिक्त में खूब जानता हूं कि भूतनाथ तुम्हारे पति का सच्चा और दिली दोलया और तुम्हारे पति भी उसको ऐसा ही मानते थे, ऐसी अवस्था में यह कर नम्भव है कि स्वयं भूतनाय अपने ही हाथो स तुम्हारे पति को मारे । ऐग करके वह क्या फायदा उठा सकता था ! क्या तुमको विश्वास है कि भूतनाय ने तुम्हारे पति को मारा ? अच्छा तुम वतामो कि ऐसा सरके उसने मचा फायदा उठाया?