पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/३४४

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तीसरा हिस्सा का सा फर्क है और आप ऐसे समय लोग उसके दोस्त भी है और इस बात को भी मानती है कि मैं उसका कुछ विगाड नहीं सकती, परन्तु पाप ही वताइये कि ऐनी अवस्था मे वह हम अवलायो मे उरता ही क्यो है ? दारोगा० । सिर्फ बदनामी के सयाल से डरता है, क्योकि अगर यह झूठा कलक उस पर लग जायगा और वह दयाराम का घाती मशहूर हो जायगा तो फिर वह दुनिया में किसी को मुह न दिसा सकेगा और नगर तुम उसे माफ कर दोगी तो वह सुशी से किसी रियासत मे रह फर अपनी जिन्दगी बिता सकेगा और जन्म भर तुम्हारा मददगार भी बना रहेगा। जमना० । मुझे उसकी मदद की कोई जरूरत नहीं है और न मेरे दिल का बहुत बडा जल्म जो उसके हाथा से पहुंचा है पाराम हो सकता है। ममझ लोजिए कि अब चूहे और दिल्ली मे दोस्ती कायम नहीं हो सकती। दारोगा० । यह समझना तुम्हारी नादानी है । मैं कह चुका ह कि ऐसा करने से तुम्हे सख्त तकलीफ पहुचेगी। जमना० । वेशक ऐसा ही है, तभी तो मै कैद करके यहा लाई गई है। दागेगा० । तुम खुद ही सोच लो कि यह कयी वात है, अगर तुम मार हो जाली जानागी तो फिर दुनिया में इसके लिए उसम बदला लेने वाला कोन रह जायगा? जमना० । मेरे पीछे उसका पाप उमसे बदला लेगा यास बात मशहर हो जाने ही से वह दीन दुनिया के लायक न रहेगा और यही उस वात का बदला समझा जायगा । अापने उसकी मदद की है और इसलिए लोगो को यहा बंद कर लाये है तो बेशक हमलोगो को मार कर अपना कलेजा ठएज कर लीजिए, हम लोग तो सुद अपने को मुर्दा समभ, तुम्हे मगर इस बात को समझ रग्वियेगा कि हम लोगो के मारे जाने में उसकी बदनामी का नगा जो बढी मजबूती के माय गाढा ग चुका है गिर न पडेगा और उन्ननगडे से उठाने वाले तया उससे बदला लेने वाले कई जब- दस्त प्रादमी कायम रह जायगे । दारोगा० 10 ] यह तुम्हारा खयाल ही पयाल है, जिग तरह तुम उनकी