भूतनाथ केवल इच्छामात्र से गिरफ्तार कर ली गई हो उसी तह उसके और दुश्मन ११० भी बात की वात में गिरफ्तार हो जायगे। जमना० । इस बात को मै नही मान सकती। दारोगा० । नही मानोगी तो मैं मना दू गा क्योकि इसका काफी सबूत मेरे पास मौजूद है। जमना० । हा, अगर मेरा दिल भर जाने के लायक कोई सबूत मिल जायगा तो मैं जरूर मान जाऊगी। दारोगा ० । अच्छा अच्छा, पहिले मै तुमको इस बात का सबूत दे लू गा तव तुमसे वात करूगा। इतना कह कर दारोगा अपनी जगह से उठ खडा हुया और उस जगह गया जहा खम्भे के साथ ये तीनो औरतें बंधी हुई थी। उस खम्भे में से जमना सर- स्वती और इन्दुमति को खोला मगर उनकी हथकडी तथा वेडो नही उतारी, हा वेटी की जजीर जरा ढीली कर दी जिसमें वे धीरे धीरे कुछ दूर तक चल सकें। इसके बाद उन तीनो को लिए सामने की दीवार के पास गया जहा एक छोटा सा दर्वाजा था यौर उसमें मजबूत ताला लगा हुआ था । दारोगा ने कमर में से ताली निकाल कर दर्वाजा खोला मोर उन तीनो को लिएहुए उसके अन्दर घुसा। रास्ता सुर ग की तरह था जो कि दस वारह कदम जाने के बाद खतम हो जाता था श्रस्तु उसी अन्धकारमय रास्ते में उन तीनो को लिए हुए दारोगा चला गया। जव र रास्ता खतम हुअा तव उसने एक खिडकी खोली जो कि जमीन से छाती वरावर ऊंची थी। उस खिडको के खुलने से उजाला हो गया और तव दारोगा ने उन औरतों को नोचे को तरफ झाक कर देने के लिए कहा। उस समय जमना सरस्वती और इन्दुमति को मालूम हुआ कि वे तीनो जमीन के अन्दर किसी तहमाने में कैद नहीं हैं बल्कि उनका कैदखाना किसी मकान के ऊपरी हिस्से पर है। खिडकी की राह से नीचे की तरफ झांक कर उन्होने देखा कि एक छोटा ना मामूली नजरवाग है जिसके चारो तरफ की दीवारें वहृत ऊ ची
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