पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/८४

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. ८९ पहिला हिस्सा प्रभा० । मुझे यह पूछना है कि मैं किसी को अपना साथी बनाऊँ कि न वनाऊँ? मूर्तिः । बनायो और अवश्य बनायो । पहिलो वरसात के दिन एक आदमी मे तुम्हारी मुलाकात होगी, उसे तुम अपना साथी बनायोगे तो शुभ होगा। अच्छा और कुछ पूछोगे ? भूत० । अब मैं कुछ पूछूगा । मूर्ति० । पूछो क्या पूछते हो? भूत० । पहिले यह बतायो कि अव तुम किस दिन और किस समय वोलोगे? मूर्तिः । यदि तुम्हारी नीयत खराब न हुई और तुमने कोई उत्पात न मचाया तो इसी अमावस वाले दिन सोलह घडी रात बीत जाने के बाद हम पुन बोलेंगे। गुलाव० । हीं भी कुछ पूछना है । मूर्तिः । तुम्हारी वातो का जवाब श्राज नहीं मिल सकता, हां यदि तुम चाहो तो आज के अट्ठारहवें दिन इसी समय यहाँ पा सकते ही परन्तु अफेले । गुलाब० । बच्चा तो अव यह बताइए कि हम भूतनाथ के मेहमान बन रहे या .. नति० । नहीं अगर पपनी भलाई चाहते हो तो दो पहर के अन्दर भूतनान का सा.. छोड दो प्रोर प्रभाकरसिंह को आज्ञानुसार काम करो। वम प्रब पुE मत पायो। उसके बाद मूर्ति ने वोलना बन्द कर दिया। भूतनाथ और प्रभाकर- निह ने गाई तर के सवाल किए मगर मूर्ति ने कुछ जवाब न दिया अन्तु तीनो यादमी मन्दिर के बाहर निकले और सभा मास में बैठ कर यो वात- चोत करने लगे :- गुलाब० । क्यों भूननाय । यह तो हमें एक नई बात मालूम हुई । मै