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पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/८७

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भूतनाथ ६४ हराम ऐयार बेइज्जती के साथ अपनी जिन्दगी बिता सकता है उसी तरह तुम भी अपनी जिन्दगी के दिन विताने के सिवाय और कुछ नही कर सकते। हम खूब जानते हैं कि तुम्हारा नाम गदाधरसिंह है और अब अपनी असलियत को छिपाते हुए तुम भूतनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ चाहते हो। भूत । (गुस्से से पेच खाकर) मालूम होता है कि तुम दोनो की शामत भाई है जिससे मेरी वातो का साफ साफ जवाव न दे कर जली कटी बातें करते और मुझे गदाधरसिंह के नाम से सम्बोधन करते हो । में नही जानता कि गदावरसिंह किस चिडिया का नाम है, पर सम्भव है कि यह कोई भेद को वात हो, इसलिए मै गदावरसिंह के बारे में कुछ नहीं पूछता और एक दफे तुम्हारी इस ढिठाई को माफ करके फिर कहता हूँ कि तुम दोनो आदमी अपना परिचय दो नही तो एक० । नहीं तो क्या ? तुम हमारा कर ही क्या सकते हो ? पहिले तुम अपनी जान बचाने का तो वन्दोवस्त कर लो। हम लोग तुम्हारी झूठी वातो से धोखा नहीं खा सकते, बस चले जायो और अपना काम करो, हम लोगों का पीछा करके तुम कोई अच्छा नतीजा नही निकाल सकते। भूतनाथ खिलखिला कर हस पड़ा और उसने फिर पूछा भूत० 01 मैं समझना ह तुम दोनो मर्द नही बल्कि औरत हो । खैर इसमे भी कोई मतलब नही । मैं वह भादमी नही हूं जो किसी तरह पर मुलाहिजा कर जाऊ, इस तलवार को देख लो और जल्द बतायो कि तुम कौन हो। इतना कह कर भूतनाय ने म्यान से तलवार निकाल लो मगर उन दोनो का दिल फिर भी न हिला और एक ने पुन कडक कर भूतनाथ से कहा-"चल दूर हो मेरे सामने से । तेरो इस निर्लज्ज तलवार से हम लोग डर नहीं सकते । समझ ले कि तू इस ढिठाई की सजा पावेगा और परतावेगा।"